
भारत ने राहत तथा मेडिकल टीमें भूकंप से प्रभावित तुर्की के लिए रवाना की हैं...
24 घंटे के भीतर एक के बाद एक तीन भूकंप से दहल गए तुर्की को राहत प्रदान करने के लिए तुर्की ने भारत को 'दोस्त' करार दिया. भारत में तुर्की के राजदूत फिरात सुनेल ने हिन्दुस्तान का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, "दोस्त वही, जो ज़रूरत में काम आए..."
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माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर फिरात सुनेल ने लिखा, "तुर्की और हिन्दी, दोनों भाषाओं में 'दोस्त' शब्द होता है... हमारी एक तुर्की कहावत है : "दोस्त कारा गुंडे बेल्ली ओलुर" (दोस्त वही, जो ज़रूरत में काम आए)... बहुत-बहुत शुक्रिया, भारत..."
"Dost" is a common word in Turkish and Hindi... We have a Turkish proverb: "Dost kara günde belli olur" (a friend in need is a friend indeed).
— Fırat Sunel फिरात सुनेल فرات صونال (@firatsunel) February 6, 2023
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इससे पहले, भारत के केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने तुर्की दूतावास जाकर संवेदना व्यक्त की थी. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहानुभूति और मानवतावादी समर्थन का संदेश भी पहुंचाया.
भारत ने राहत तथा मेडिकल टीमें तुर्की के लिए रवाना की हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने कहा कि बैठक में तय किया गया कि NDRF की खोज तथा राहत टीमें और मेडिकल टीमें राहत सामग्री के साथ तुर्की सरकार से समन्वय कर तुरंत रवाना की जाएंगी.
PMO ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय आपदा राहत बल (National Disaster Relief Force या NDRF) की दो टीमें, जिनमें 100 कर्मी, विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वाड और आवश्यक उपकरण शामिल हैं, भूकंप प्रभावित इलाकों में तलाश तथा राहत ऑपरेशन संचालित करने के लिए उड़ान भरने को तैयार हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा, "आवश्यक दवाओं व प्रशिक्षित डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के साथ मेडिकल टीमें भी तैयार की जा रही हैं... तुर्की सरकार, अंकारा स्थित भारतीय दूतावास तथा इस्ताम्बूल स्थित कॉन्स्यूलेट जनरल कार्यालय से समन्वय कर राहत सामग्री भी भेजी जाएगी..."
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा ने साउथ ब्लॉक में तत्काल राहत के उपायों पर चर्चा के लिए बैठक की, जिसमें कैबिनेट सचिव के साथ-साथ गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), NDRF, रक्षाबलों, विदेश मंत्रालय व नागरिक उड्डयन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल थे.
भूकंप का केंद्र दक्षिण-मध्य तुर्की के गाज़ियान्टेप शहर के निकट बताया गया. यह पिछली एक सदी के दौरान तुर्की में आया सबसे बड़ा भूकंप था, जिसके चलते इमारतें ज़मीन्दोज़ हो गईं और लोग सड़कों पर आ गए.
यूनाइडेट स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे ने तुर्की में 24 अन्य झटके भी दर्ज किए हैं. 'टाइम्स ऑफ इस्राइल' ने यूरोपियन मेडिटेरेनियन सिस्मोलॉजिकल सेंटर के हवाले से बताया कि भूकंप का प्रभाव सीरिया, लेबनान, साइप्रस, ग्रीस, जोर्डन, इराक के अलावा रोमानिया, जॉर्जिया और मिस्र तक महसूस किया गया.
तुर्की में भूकंप से तबाही और हज़ारों की जान चले जाने के बाद दुनियाभर से संवेदना संदेश भेजे जाने की ख़बरें हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर पर तुर्की तथा आसपास के इलाकों में हुए जानी नुकसान पर संवेदना व्यक्त की थी.