सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) मौत की सजा (Death Penalty) देने पर देश की अदालतों के लिए गाइडलाइन बनाएगा. कोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया है. जस्टिस यू यू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने मौत की सजा पाए कैदी की याचिका पर ये कदम उठाने का फैसला लिया है. अदालत इरफान उर्फ भय्यू मेवाती की याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें उसने मौत की सजा को चुनौती दी है. इरफान के लिए ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा की सजा तय की और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इसकी पुष्टि भी कर दी है. तीन जजों की पीठ ने इसी याचिका पर चल रही कार्यवाही के दौरान कहा कि सजा-ए-मौत के योग्य अपराधों में ये सबसे सख्त सजा तय करने के लिए गाइड लाइन जरूरी है. कोर्ट जल्दी ही इसे तैयार कर लेगा.
पीठ ने इसके लिए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से भी मदद करने को कहा और नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ( NALSA) को नोटिस जारी किया है. पीठ ने कहा कि अब समय आ गया है कि मौत की सजा देने को लेकर भी नियम कायदे हों, यानी इसे इंटीट्यूशनलाइज किया जाए, क्योंकि सजा पाने वाले दोषी के पास अपने बचाव के लिए बहुत कम उपाय होते हैं.
सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट के परमेश्वर ने कहा कि कई राज्यों में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को तरक्की ही इसी आधार पर दी जाती है कि उसने कितने मामलों में कितनों को सजा दिलवाई वो भी मौत की सजा. उन्होंने मध्य प्रदेश का हवाला दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस नीति को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जाए, इसके बाद अदालत ने इस पर संज्ञान लिया और अब मामले की सुनवाई दस मई को होगी.
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