
बिहार सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने के फैसले पर रोक लगाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अहम सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच यह सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि बिहार में जातिगत जनगणना कराने के खिलाफ तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं. एक याचिका हिंदू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. हिन्दू सेना ने अपनी याचिका में कहा है कि बिहार सरकार जातिगत जनगणना कराकर भारत की अखंडता एवं एकता को तोड़ना चाहती है. याचिका में बिहार में जातिगत जनगणना के लिए 6 जून को राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है
बता दें, इस मामले में पहली याचिका बिहार निवासी अखिलेश कुमार ने दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि बिहार राज्य की अधिसूचना और फैसला अवैध, मनमाना, तर्कहीन, असंवैधानिक और कानून के अधिकार के बिना है. भारत का संविधान वर्ण और जाति के आधार पर भेदभाव करता है. जाति संघर्ष और नस्लीय संघर्ष को खत्म करने के लिए राज्य संवैधानिक दायित्व के अधीन है
गौरतलब है कि बिहार कैबिनेट ने जाति आधारित गणना को पिछले साल जून माह में मंजूरी प्रदान करते हुए इसके लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया था और सर्वेक्षण पूरा करने के लिए 23 फरवरी की समय सीमा निर्धारित की थी. बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा जातीय जनगणना के पक्ष में 2018 और 2019 में दो सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किए गए थे.
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