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बेंगलुरु सेंट्रल में वोटर लिस्ट हेरफेर की जांच की मांग, सुप्रीम कोर्ट इस दिन कर सकता है सुनवाई

कांग्रेस से जुड़े वकील रोहित पांडे द्वारा दायर याचिका में यह भी निर्देश देने की मांग की गई है कि अदालत के निर्देशों का पालन होने और मतदाता सूची का स्वतंत्र ऑडिट पूरा होने तक मतदाता सूची में कोई और संशोधन या अंतिम रूप नहीं दिया जाए.

बेंगलुरु सेंट्रल में वोटर लिस्ट हेरफेर की जांच की मांग, सुप्रीम कोर्ट इस दिन कर सकता है सुनवाई
  • सुप्रीम कोर्ट राहुल गांधी द्वारा लगाए गए मतदाता सूची हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए सुनवाई कर सकता है
  • याचिका में मतदाता सूची में संशोधन रोकने और स्वतंत्र ऑडिट पूरा होने तक रोक लगाने का निर्देश मांगा गया है
  • आरोपों के अनुसार बेंगलुरु सेंट्रल में 40,009 अवैध मतदाता और 10,452 डुप्लिकेट प्रविष्टियां पाई गई हैं
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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर सकता है, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान बेंगलुरु सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में हेरफेर के संबंध में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक पूर्व जज की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) के गठन की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर इस केस की संभावित सुनवाई 13 अक्टूबर बताई गई है. कांग्रेस से जुड़े वकील रोहित पांडे द्वारा दायर याचिका में यह भी निर्देश देने की मांग की गई है कि अदालत के निर्देशों का पालन होने और मतदाता सूची का स्वतंत्र ऑडिट पूरा होने तक मतदाता सूची में कोई और संशोधन या अंतिम रूप नहीं दिया जाए.

याचिका में राहुल की प्रेस कांफ्रेंस का हवाला

याचिकाकर्ता ने मतदाता सूची की तैयारी, रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता, जवाबदेही और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा बाध्यकारी दिशानिर्देश तैयार करने और जारी करने की भी मांग की, जिसमें डुप्लिकेट या काल्पनिक प्रविष्टियों का पता लगाने और रोकने के लिए तंत्र शामिल हैं. याचिका में राहुल गांधी की 7 अगस्त की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में कथित हेरफेर का मुद्दा उठाया था. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने विपक्ष के नेता द्वारा लगाए गए आरोपों का स्वतंत्र रूप से सत्यापन किया है.

एक ही व्यक्ति के अलग-अलग EPIC नंबर

प्रथम दृष्टया यह साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री पाई है कि आरोप वैध वोटों के मूल्य को कमजोर और विकृत करने के एक व्यवस्थित प्रयास को प्रकट करते हैं, जिससे व्यापक जनहित में इस माननीय न्यायालय द्वारा तत्काल हस्तक्षेप आवश्यक हो जाता है. उनके अनुसार, निर्वाचन क्षेत्र में 40,009 अवैध मतदाता और 10,452 डुप्लिकेट प्रविष्टियां थीं. यह कहा गया कि विभिन्न राज्यों में एक ही व्यक्ति के अलग-अलग EPIC नंबर होने के उदाहरण हैं, हालांकि EPIC नंबर अद्वितीय माना जाता है. साथ ही, कई मतदाताओं के घर के पते और पिता के नाम समान थे. एक मतदान केंद्र के लगभग 80 मतदाताओं ने एक छोटे से घर का पता दिया था.  ऐसे उदाहरण रोल की प्रामाणिकता पर गंभीर संदेह पैदा करते हैं और फर्जी मतदान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.

याचिकाकर्ता ने क्या कुछ कहा

याचिकाकर्ता ने कहा है कि मतदाता सूची में इस तरह की हेराफेरी अनुच्छेद 326 (सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार) के तहत प्रदत्त संवैधानिक गारंटी की जड़ पर प्रहार करती है, अनुच्छेद 324 (भारत के चुनाव आयोग द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का पर्यवेक्षण) का उल्लंघन करती है, और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का सीधा उल्लंघन करती है, जो कानून के समक्ष समानता और लोकतांत्रिक शासन में सार्थक भागीदारी के अधिकार की रक्षा करते हैं. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मतदाता सूची में इतने बड़े पैमाने पर छेड़छाड़, यदि सिद्ध हो जाती है, तो अनुच्छेद 325 और 326 के तहत "एक व्यक्ति, एक वोट" के संवैधानिक आदेश की नींव पर प्रहार करती है, वैध मतों के मूल्य को कम करती है, और समानता और उचित प्रक्रिया के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है.
 

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