संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को तीखी नोकझोंक के साथ शुरू हुआ. मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने दोनों सदनों में हंगामा किया. पिछले सत्र की तरह इस बार भी इस मुद्दे पर सारा विपक्ष एक साथ नज़र आया. हंगामे की वजह से लोकसभा में तो दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. वही राज्यसभा में भी इसको लेकर विपक्ष ने सरकार से तत्काल चर्चा की मांग की.
हालांकि सरकार ने विपक्ष के मांग को नकारा नहीं है,लेकिन फिलहाल वह एसआईआर पर सीधी चर्चा के पक्ष में नहीं दिख रही. राज्यसभा में बढ़ती गर्मागर्मी के बीच संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार विपक्ष के रुख पर विचार कर रही है और और इस मांग को खारिज नहीं किया गया है. उन्होंने विपक्ष से कहा कि वह कोई शर्त नहीं रखे. सरकार एसआईआर,चुनाव सुधारों सहित किसी भी विषय पर चर्चा के खिलाफ नहीं है,मगर उसे जवाब देने के लिए कुछ समय दिया जाए.
वहीं, विपक्ष ने इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा नहीं कराए जाने पर सदन से बायकॉट किया.चूंकि सरकार ने चर्चा की संभावना से इनकार नहीं किया है, इसलिए विपक्ष को उम्मीद है कि शायद चर्चा हो जाए. सरकार का रुख़ पहली बार नरम दिख रहा है. माना जा रहा है कि बिजनेस एडवाइज़री कमेटी का इशारा भी कुछ ऐसा ही था. लेकिन फिलहाल गतिरोध बना हुआ है. सरकार बस यह संकेत दे रही है कि वह चुनाव सुधारों पर चर्चा करा सकती है, लेकिन विपक्ष के दबाव के आगे झुकेगी नहीं.
सरकार की प्राथमिकता विधेयक, एसआईआर नहीं
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार निकट भविष्य में किसी भी स्थिति में एसआईआर पर चर्चा नहीं करना चाहती और इसे जानबूझकर टाला जा रहा है. माना जा रहा है कि अगर राजनीतिक सहमति बनी तो सदन में चुनाव सुधार पर चर्चा करा सकती है. सरकार की प्राथमिकता इस समय अपने प्रस्तावित विधेयकों पर बहस कराने की है.भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी दबाव में निर्णय नहीं लेगी. उनका कहना था कि विपक्ष एसआईआर पर नियम विरुद्ध चर्चा की मांग कर रहा है,जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह पहले दिन से ही सदन की कार्यवाही बाधित कर रहा है और जनहित से जुड़े विधेयकों में रुचि नहीं दिखा रहा. सदन चलाये जाने को लेकर उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से कोई डेडलॉक नही है बल्कि लॉक ही नही है क्योंकि यहां तो राम राज्य हैं.
चर्चा की दिशा चुनाव सुधार की ओर?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि केंद्र सरकार एसआईआर पर प्रत्यक्ष बहस से बचते हुए चुनाव सुधार के व्यापक मुद्दे पर बातचीत का रास्ता खोल सकती है. रिजिजू के बयान को भी इसी दिशा का संकेत माना जा रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि संसद में सीधे एसआईआर पर बहस संभव नहीं है,क्योंकि यह विषय चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है, जो एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है और किसी मंत्रालय के अधीन नहीं है। ऐसे में यदि चर्चा होती भी है, तो वह चुनाव सुधार के दायरे में ही सीमित रहेगी.
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