विज्ञापन
This Article is From Feb 15, 2023

"राजस्थान पर जल्द हो फैसला क्योंकि...", अशोक गहलोत से तल्खी के बीच बोले सचिन पायलट

सचिन पायलट ने बुधवार को पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि अनुशासनात्मक समिति तत्कालीन पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के खिलाफ खुली अवहेलना के संबंध में निर्णय में विलंब का सबसे अच्छा जवाब दे सकते हैं.

"राजस्थान पर जल्द हो फैसला क्योंकि...", अशोक गहलोत से तल्खी के बीच बोले सचिन पायलट
अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को गद्दार करार देते हुए कहा था कि उन्होंने पार्टी के साथ गद्दारी की थी.
नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot)ने बुधवार को कहा कि पिछले साल जयपुर में पार्टी विधायक दल (CLP) की बैठक में भाग नहीं लेकर तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के निर्देश की ‘‘अहवेलना करने वाले'' नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में ‘‘अत्यधिक विलंब'' हो रहा है. अगर राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा बदलनी है तो राजस्थान में कांग्रेस से जुड़े मामलों पर जल्द फैसला करना होगा. क्योंकि अनुशासन और पार्टी के रुख का अनुपालन सभी के लिए समान है, व्यक्ति बड़ा हो या छोटा.

सचिन पायलट ने बुधवार (15 फरवरी) को पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि अनुशासनात्मक समिति तत्कालीन पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के खिलाफ खुली अवहेलना के संबंध में निर्णय में विलंब का सबसे अच्छा जवाब दे सकते हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले तीन नेताओं को चार महीने पहले दिए गए कारण बताओ नोटिस का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कांग्रेस नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि मामले में निर्णय लेने में ‘‘अप्रत्याशित विलंब'' क्यों हो रहा है.

पायलट ने ‘पीटीआई-भाषा' को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘‘विधायक दल की बैठक 25 सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई थी. यह बैठक नहीं हो सकी. बैठक में जो भी होता वो अलग मुद्दा था, लेकिन बैठक ही नहीं होने दी गई.'' उन्होंने कहा कि जो लोग बैठक नहीं होने देने और समानांतर बैठक बुलाने के लिए जिम्मेदार थे उन्हें ‘‘प्रथम दृष्टया अनुशासनहीनता'' के लिए नोटिस दिए गए थे.

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली कि इन नेताओं ने नोटिस के जवाब दे दिए. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. मुझे लगता है कि एके एंटनी के नेतृत्व वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति, कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी नेतृत्व ही इसका सही जवाब दे सकते हैं कि निर्णय लेने में इतना ज्यादा विलंब क्यों हो रहा है.''

पायलट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में इसका उल्लेख किया गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे मिले और कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफे सौंपे थे. उनके अनुसार, हलफनामे में यह भी कहा गया कि कुछ विधायकों के इस्तीफे फोटोकॉपी थे और शेष को स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि ‘‘वे अपनी मर्जी'' से नहीं दिए गए थे.

उन्होंने कहा कि यह एक कारण था जिसके आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफे अस्वीकार किए. पायलट ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘ये इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे. अगर वे अपनी मर्जी से नहीं दिए गए थे तो ये किसके दबाव में दिए गए थे? क्या कोई धमकी थी, लालच था या दबाव था...यह एक ऐसा विषय है जिस पर पार्टी की ओर से जांच किए जाने की जरूरत है.''

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम बहुत जल्द चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं, बजट भी पेश हो चुका है. पार्टी नेतृत्व ने कई बार कहा कि वह फैसला करेगा कि कैसे आगे बढ़ना है. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के बारे में जो भी फैसला करना है वो होना चाहिए क्योंकि इस साल के आखिर में चुनाव है.''

उनके अनुसार, अगर हर पांच साल पर सरकार बदलने की 25 साल से चली आर रही परंपरा बदलनी है और फिर से कांग्रेस की सरकार लानी है तो जल्द फैसला करना होगा. पायलट ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में खुद आक्रामक ढंग से प्रचार कर रहे हैं और ऐसे में कांग्रेस को अब मैदान पर उतरकर कार्यकर्ताओं को लामबंद करना होगा ताकि ‘‘हम लड़ाई के लिए तैयार रहें.'' उन्होंने कहा, ‘‘विधायक दल की बैठक तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर बुलाई गई थी और ऐसे में बैठक नहीं होना पार्टी के निर्देश की अहवेलना थी.''

गौरतलब है कि प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक एवं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को उस समय नोटिस जारी किए गए थे, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के विधायक 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे और पार्टी के किसी भी कदम के खिलाफ धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी.    

कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को लेकर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक एवं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को उस समय नोटिस जारी किए थे. 

इस घटनाक्रम के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बयानबाजी भी हुई थी. अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को गद्दार करार देते हुए कहा था कि उन्होंने पार्टी के साथ गद्दारी की थी. इसलिए उन्हें कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता. इस पर सचिन पायलट ने भी पलटवार करते हुए अशोक गहलोत को इस तरह के बचकाने बयान न देने की नसीहत दी थी. 

ये भी पढ़ें:-

सचिन पायलट ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का किया आग्रह

Valentine's Day 2023: अखिलेश यादव से लेकर प्रियंका गांधी तक, फ़िल्मी कहानी से कम नहीं हैं इन नेताओं की लव स्टोरी

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com