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This Article is From Sep 05, 2023

"10 रुपये की कंघी काफी है...": सिर काटने वाले को 10 करोड़ के इनाम की घोषणा पर उदयनिधि स्टालिन

सनातन धर्म पर टिप्पणी के बाद जारी विवाद के बीच उदयनिधि स्टालिन ने अपने जान पर कथित खतरे को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि वह उस व्यक्ति के पोते हैं जिसने तमिलनाडु के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया था.

"10 रुपये की कंघी काफी है...": सिर काटने वाले को 10 करोड़ के इनाम की घोषणा पर उदयनिधि स्टालिन
स्टालिन ने जिस घटना का जिक्र किया वह 1953 की है.
चेन्नई:

उदयनिधि स्टालिन ने अपने जान पर कथित खतरे को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि वह उस व्यक्ति के पोते हैं जिसने तमिलनाडु के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया और "इन खतरों के बारे में चिंतित नहीं थे". दरअसल, उत्तर प्रदेश में एक संत ने "सनातन धर्म" पर उनकी टिप्पणियों से भड़के भारी विरोध के बीच खेल मंत्री का सिर काटकर लाने पर 10 करोड़ का इनाम देने की घोषणा की है. 

पीटीआई ने अयोध्या के तपस्वी छावनी मंदिर के मुख्य पुजारी परमहंस आचार्य के हवाले से यह बात कही, "जो कोई भी स्टालिन का सिर काटकर मेरे पास लाएगा, उसे मैं 10 करोड़ रुपये का नकद इनाम दूंगा. अगर किसी ने स्टालिन को मारने की हिम्मत नहीं की, तो मैं खुद उसे ढूंढूंगा और मार डालूंगा." 

गौरतलब है कि चेन्नई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि उत्तर प्रदेश में परमहंस आचार्य ने घोषणा की है कि "वह मुझे सनातन (धर्म) के बारे में बात करने के लिए अपना सिर मुंडवाने के लिए 10 करोड़ रुपये देंगे".

धमकी पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, ''मेरे सिर पर कंघी करने के लिए 10 रुपये की कंघी काफी है.'' तमिल में, चॉप या स्लाइस शब्द का अर्थ बालों में कंघी करना भी होता है.

"यह हमारे लिए नया नहीं है. हम उन लोगों में से नहीं हैं जो इन सभी खतरों से डरते हैं. मैं उस कलाकार का पोता हूं जिसने तमिल के लिए अपना सिर रेल ट्रैक पर रख दिया था." स्टालिन ने कहा, जो मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे हैं और राज्य के प्रतिष्ठित नेताओं में से एक एम करुणानिधि के पोते. 

पांच बार मुख्यमंत्री रहे करुणानिधि ने पेरियार द्वारा शुरू किए गए तर्कवादी और ब्राह्मण विरोधी द्रविड़ आंदोलन का नेतृत्व किया था. 

स्टालिन ने जिस घटना का जिक्र किया वह 1953 की है और इससे तमिल राजनीति में करुणानिधि का उदय हुआ. डालमिया के उद्योगपति परिवार के नाम पर एक गांव का नाम बदलने के विरोध में, जो वहां एक सीमेंट फैक्ट्री का निर्माण कर रहे थे, करुणानिधि के नेतृत्व में डीएमके कार्यकर्ता अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पटरियों पर लेट गए थे.

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