
Heartwarming Video Captures Tamil Nadu Residents: तमिलनाडु के थंजावुर और तिरुचिरापल्ली ज़िलों की सीमा पर स्थित ऐतिहासिक Kallanai डैम से जब कावेरी नदी का पानी छोड़ा गया, तो ग्रामीणों ने इसका स्वागत फूलों, प्रार्थनाओं और मुस्कान से किया. इस हृदयस्पर्शी दृश्य का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जो अब तक हजारों लोगों के दिलों को छू चुका है. वीडियो में देखा जा सकता है कि जैसे ही सूखी धरती पर कावेरी का पानी बहना शुरू हुआ, ग्रामीण दौड़ते हुए आए. उन्होंने पानी पर फूल चढ़ाए, हाथ जोड़कर उसका स्वागत किया और कुछ लोगों ने भावुक होकर आंखों में आंसू लिए पानी को छुआ.
'ये सिर्फ पानी नहीं, ये परंपरा, आस्था और भावनाओं की धार है' (Emotional River Welcome Video)
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने स्वयं जल प्रवाह के शुभारंभ के अवसर पर पानी पर पुष्प वर्षा की और धान के बीज अर्पित किए. यह पानी कावेरी डेल्टा क्षेत्र की लगभग 13 लाख एकड़ ज़मीन की सिंचाई के लिए छोड़ा गया है.
यहां देखें वीडियो
As Kaveri arrives, everyone's heart lifts—like the joy that comes with the first monsoon. With simple offerings and big smiles, they welcome her like one of their own.
— Naveen Reddy (@navin_ankampali) June 20, 2025
That's why I'm eager to monitor the flood — it's not just water, it's emotion, tradition, and togetherness… pic.twitter.com/0gJzq0LTo5
सोशल मीडिया पर उमड़ा भावनाओं का सैलाब (Kallanai dam water release)
X (पूर्व में ट्विटर) पर कई यूज़र्स ने इस वीडियो को शेयर करते हुए इसे भारतीय संस्कृति की खूबसूरत मिसाल बताया. एक यूज़र ने लिखा, बचपन में जब कावेरी का पानी आता था, तो गांव में मानो उत्सव जैसा माहौल होता था. आज भी वो परंपरा जिंदा है. दूसरे ने कहा, नदी को देवी मानने की भावना आज भी जिन्दा है. यही तो हमारी संस्कृति की खूबसूरती है.
'कावेरी अम्मा आई हैं, गांव तैयार है स्वागत के लिए' (Cauvery water Tamil Nadu 2025)
वायरल हो रहे इस वीडियो को देख चुके एक यूज़र ने लिखा, मैंने एक बुजुर्ग महिला को देखा जो मंदिर के पास बहते पानी को छूते हुए रो रही थीं. खुशी के आंसू थे वो. वेदर एक्सपर्ट नवीन रेड्डी ने भी वीडियो शेयर करते हुए कहा, ये सिर्फ बाढ़ या सिंचाई नहीं है, ये परंपरा, जुड़ाव और जज़्बात हैं, जो पानी के साथ बह रहे हैं. कावेरी जल का यह पारंपरिक स्वागत केवल एक नदी के बहने की सूचना नहीं है, यह एक भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है, जो दर्शाता है कि भारत में नदियां सिर्फ जलधारा नहीं, बल्कि मां समान पूजनीय हैं.
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