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This Article is From Jul 18, 2022

कर्नाटक के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, "दागी अधिकारी" और "संग्रह केंद्र" जैसे टिप्पणियों पर लगी रोक    

कर्नाटक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सीमांत कुमार सिंह और ब्यूरोक्रेट जे मंजूनाथ को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने आज कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) द्वारा सीमांत कुमार सिंह को "दागी अधिकारी"(Tainted Officer) और कर्नाटक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को "संग्रह केंद्र" (Collection Centre)  कहने वाली टिप्पणियों पर रोक लगा दी है.

कर्नाटक के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, "दागी अधिकारी" और "संग्रह केंद्र" जैसे टिप्पणियों पर लगी रोक    
कर्नाटक के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
नई दिल्ली:

कर्नाटक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सीमांत कुमार सिंह और ब्यूरोक्रेट जे मंजूनाथ को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने आज कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) द्वारा सीमांत कुमार सिंह को "दागी अधिकारी"(Tainted Officer) और कर्नाटक भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को "संग्रह केंद्र" (Collection Centre)  कहने वाली टिप्पणियों पर रोक लगा दी है. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने उच्च न्यायालय को जमानत मामले पर नए सिरे से फैसला करने का निर्देश देते हुए कहा कि उन टिप्पणियों का मामले से कोई लेना-देना नहीं था और न ही वे कार्यवाही के दायरे में हैं.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा,"भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (Anti-Corruption Bureau) के अधिकारी का आचरण इस मामले से जुड़ा नहीं है जिस पर सुनवाई हो रही थी. जमानत अर्जी पर विचार करने के बजाय, न्यायाधीश ने अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जो प्रासंगिकता और दायरे से बाहर हो सकती है."

कर्नाटक के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीमांत कुमार सिंह और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जे मंजूनाथ ने रिश्वत मामले की सुनवाई के दौरान कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एचपी संदेश की "प्रतिकूल" टिप्पणियों को हटाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था. उन्होंने कार्यवाही पर रोक लगाने की भी मांग की.

न्यायमूर्ति संदेश ने सवाल किया था कि तत्कालीन बेंगलुरु शहरी उपायुक्त (Bengaluru Urban Deputy Commissioner) मंजूनाथ को रिश्वत मामले में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया. IAS अधिकारी जे मंजूनाथ, जो इस समय रिश्वत मामले में जेल में हैं, ने कहा कि उनके खिलाफ दी गई कुछ टिप्पणियां का जवाब देने का मौका उन्हें नहीं मिला है.

याचिका में कहा गया है, "उच्च न्यायालय ने इस तथ्य को नज़रअंदाज कर दिया है कि जांच के शुरुआती चरणों में इस तरह की टिप्पणियों का निष्पक्ष जांच और आपराधिक कार्यवाही के विवेकपूर्ण निष्कर्ष पर गलत प्रभाव पड़ता है. इसमें जमानत पाने का अधिकार भी शामिल है.” उन्होंने अपनी याचिका में यह भी कहा कि  उच्च न्यायालय की टिप्पणियों के कारण उन्हें मीडिया ट्रायल का भी शिकार होना पड़ा.

न्यायाधीश ने बाद में दावा किया कि उनकी टिप्पणी के बाद उन्हें तबादले की धमकी मिली थी.

CJI ने कहा, "न्यायाधीश द्वारा लगाया गया आरोप एक अलग मामला है और हम यह इम्प्रेशन नहीं देना चाहते कि हम एक पक्ष की तरफदारी कर रहे हैं.”

मामले की अगली सुनवाई अब तीन हफ्ते बाद होगी.

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