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पश्चिम बंगाल SIR की घोषणा से दो दिन पहले प्रशांत किशोर ने दिया वोटर डिलीशन का आवेदन

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल से अपना वोटर नामांकन हटाने के लिए 25 अक्टूबर 2025 को आवेदन किया था. यह पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए विशेष संशोधित मतदाता सूची की घोषणा से सिर्फ दो दिन पहले किया गया था.

पश्चिम बंगाल SIR की घोषणा से दो दिन पहले प्रशांत किशोर ने दिया वोटर डिलीशन का आवेदन
  • प्रशांत किशोर ने बंगाल में बने वोटर कार्ड को हटाने के लिए SIR की घोषणा से दो दिन पहले फॉर्म जमा किया था.
  • प्रशांत किशोर के नाम पर पश्चिम बंगाल और बिहार में अलग-अलग वोटर कार्ड पाए गए, जिन्‍हें लेकर विवाद हो गया.
  • चुनाव आयोग ने प्रशांत किशोर को दो वोटर कार्ड मामले में नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर जवाब मांगा है
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नई दिल्‍ली :

चुनाव रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर ने अपने बंगाल में बने वोटर कार्ड को हटाने के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR की घोषणा से दो दिन पहले फॉर्म जमा किया था. चुनाव आयोग के सूत्रों ने यह जानकारी दी है. बता दें कि किशोर के नाम पर दो अलग-अलग वोटर आईडी कार्ड पाए गए हैं. इनमें से एक पश्चिम बंगाल में और दूसरा बिहार में है. यह मामला अब तूल पकड़ चुका है, क्‍योंकि चुनाव आयोग ने प्रशांत किशोर को नोटिस जारी करते हुए तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल से अपना वोटर नामांकन हटाने के लिए 25 अक्टूबर 2025 को आवेदन किया था. दिलचस्प बात यह है कि यह आवेदन पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए विशेष संशोधित मतदाता सूची (Special Integrated Revision) की घोषणा से सिर्फ दो दिन पहले यानी 27 अक्टूबर को किया गया था.

प्रशांत किशोर से मांगा गया जवाब 

अब जब बंगाल में SIR प्रक्रिया राज्य में शुरू हो चुकी है. ऐसे में मतदाता सूची को वहां पर फ्रीज कर दिया गया है. अब आयोग आने वाले दिनों में उनके आवेदन पर फैसला लेगा. इस बीच रोहतास जिला अधिकारी ने किशोर से दूसरे वोटर कार्ड को लेकर जवाब मांगा है. हाल ही में बिहार में SIR की प्रक्रिया पूरी हुई है. 

SIR का एक मकसद यह भी है कि डुप्लीकेट वोटर की पहचान की जा सके और एक व्यक्ति का नाम सिर्फ एक ही जगह की मतदाता सूची में हो.

एक से ज्‍यादा वोटर कार्ड कानूनी अपराध

चुनाव आयोग के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत पाया जाता है तो यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 के तहत यह एक कानूनी अपराध है. इस धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई व्यक्ति एक से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में वोटर नहीं हो सकता.

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए SIR की प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में एनडीटीवी के सवाल पर कहा था, “अगर किसी व्यक्ति के पास दो वोटर आईडी कार्ड हैं तो यह कानून का उल्लंघन है. मतदाताओं से अपील है कि वे दो स्थानों पर नामांकन फॉर्म न भरें. यह न केवल गलत है बल्कि दंडनीय भी हो सकता है.”

वहीं प्रशांत किशोर का कहना है कि उन्होंने बंगाल में नाम काटने के लिए पहले ही आवेदन दिया था, लेकिन आयोग ने नाम नहीं काटा.

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