बीजेपी (BJP) आज भारतीय राजनीति का पूरा विमर्श बदलकर रख दिया है. यह सच है कि आजाद भारत का मौजूदा इतिहास जब लिखा जाएगा तो एक बीजेपी पूर्व काल हो सकता है और दूसरा बीजेपी के बाद का दौर. इसलिए नहीं कि बीजेपी दूसरी बार सरकार बनाने में सफल रही है बल्कि इसलिए भी कि उसके आने से भारतीय लोकतंत्र और संसदीय राजनीति के सामने कई नए सवाल आ गए हैं और कई संभावनाएं भी खुली हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 6 अप्रैल को अपना 42वां स्थापना दिवस मनाया. बीजेपी की कहानी दो लोगों के साथ शुरू होती है एक श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दूसरे दीनदयाल उपाध्याय. एक बड़े वकील रहे तो दूसरे सामाजिक कार्यकर्ता. दोनों ने जनसंघ की बुनियाद रखी और इसे मजबूती दी लेकिन दोनों का निधन त्रासद रहा. मुखर्जी का निधन श्रीनगर में कैद में रहते हुए तो उपाध्याय का शव मुगलसराय के रेलवे स्टेशन पर मिला. मुखर्जी, कभी हिंदू महासभा में होते थे.बाद में उससे अलग हुए. वे आजाद भारत की पहली नेहरू सरकार में मंत्री भी रहे. लेकिन उन्होंने सरकार छोड़ी और 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की.
मुखर्जी ने इसके बाद जम्मू कश्मीर जाकर वहां के अलग कानूनों का मसला उठाया. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. 1953 में उनका निधन हो गया हालांकि इससे पहले उन्होंने जनसंघ के चुनाव चिह्न, दीपक को पहचान दिला दी. पहले ही आम चुनाव में जनसंघ ने तीन सीटें जीतीं. दूसरे चेहरे, दीनदयाल उपाध्याय ने जनसंघ का वैचारिक आधार तैयार किया. वे राष्ट्रधर्म जैसी पत्रिका के संपादक रहे, एकात्म मानववाद का सूत्र दिया. बीजेपी और आरएसएस इसे समानांतर भारत का दर्शन बताते हैं. जनसंघ चलता रहा और दीपक जलता रहा. बाद के वर्षों में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और नानाजी देशमुख ने जनसंघ की कमान संभाली. 1957 के चुनाव में वाजपेयी बलरामपुर से जनसंघ के चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. वाजपेयी की भाषण देने के कला के पंडित नेहरू भी कायल थे.
वाजपेयी के साथ आडवाणी जुड़े. आडवाणी पहली बार राज्यसभा के रास्ते संसद पहुंचे. जब इंदिरा गांधी ने 1977 में इमरजेंसी घोषित की तो कई विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया. बाद में जनता पार्टी की सरकार बनी जिसमें वाजपेयी विदेश मंत्री और आडवाणी सूचना प्रसारण मंत्री बनाए गए. जनता पार्टी के टूटकर बिखरने के बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ जिसने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दिया. अपनी स्थापना के बाद से बीजेपी ने उतार-चढ़ाव का दौर देखा है.
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