EVM-VVPAT के 100% सत्यापन से जुड़ी अर्ज़ियां खारिज, SC के दोनों जजों का सहमति से फ़ैसला

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने फैसला सुनाते समय पेपर बैलेट की मांग को भी खारिज कर दिया है. पीठ के जजों ने यह फैसला आपसी सहमति से लिया है.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने EVM-VVPAT को लेकर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने सभी 100 फीसदी सत्यापन की याचिकाएं खारिज की है.  EVM-VVPAT को लेकर जजों ने यह फैसला सहमति से लिया है. आपको बता दें कि कोर्ट ने VVPAT के साथ EVM के वोटों के 100 फीसदी सत्यापन की मांग करने वाली याचिका पर यह फैसला दिया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते समय पेपर बैलेट की मांग को भी खारिज कर दिया है. 

फैसला सुनाते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमने सभी याचिकाओं को खारिज किया है. लोकतंत्र अपने विभिन्न स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास पर आधारित है. इस पर कोर्ट का रुख साक्ष्यों पर आधारित रहा है. वहीं जस्टिस दीपांकर दत्ता ने फैसला सुनाते समय कहा कि किसी प्रणाली पर आंख मूंदकर संदेह करना सही नहीं है.

कोर्ट ने आगे कहा कि हमारे अनुसार सार्थक आलोचना की आवश्यकता है. चाहे वह न्यायपालिका हो, विधायिका आदि हों. लोकतंत्र का अर्थ सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाए रखना है. विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं. 

कोर्ट ने दिए खास निर्देश

फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं. उनमें ईवीएम में सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने पर, सिंबल लोडिंग इकाई को सील कर दिया जाना चाहिए और कंटेनरों में सुरक्षित किया जाना चाहिए. उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि मुहर पर हस्ताक्षर करेंगे. SLU  वाले सीलबंद कंटेनरों को नतीजों की घोषणा के बाद कम से कम 45 दिनों तक ईवीएम के साथ स्टोर रूम में रखा जाएगा. इन्हें ईवीएम की तरह खोला और सील किया जाना चाहिए.  

अपने दूसरे निर्देश में कोर्ट ने कहा कि प्रति विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र प्रति संसदीय क्षेत्र में घोषणा के बाद ईवीएम के निर्माताओं के इंजीनियरों की एक टीम द्वारा जांच और सत्यापन किया जाएगा. उम्मीदवार 2 और 3 के लिखित अनुरोध पर परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर ये जांच होनी चाहिए. वास्तविक लागत अनुरोध करने वाले उम्मीदवार द्वारा वहन की जाएगी. ईवीएम से छेड़छाड़ पाए जाने पर खर्चा वापस किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह वोटों की पर्चियों की गिनती के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन के सुझाव की जांच करे और क्या चुनाव चिन्ह के साथ-साथ प्रत्येक पार्टी के लिए एक बार कोड भी हो सकता है. 

सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये खास सुझाव

कोर्ट ने कहा है कि ऐसा अनुरोध परिणाम घोषित होने के 7 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वीवीपैट की गिनती में मशीन की मदद लेने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है. दो जजों की पीठ ने वीवीपैट की गिनती के मुद्दे पर समवर्ती लेकिन अलग-अलग फैसले सुनाए. कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कोई प्रत्याशी वेरिफिकेशन की मांग करता है तो उस स्थिति में इसका खर्चा उसी से वसूला जाए, अगर ईवीएम में कोई छेड़छाड़ मिलती है तो उसे खर्चा वापस किया जाए. 

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बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) से चार अहम सवाल पूछे थे. साथ ही न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने चुनाव आयोग (ईसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी को कुछ सवालों के जवाब देने के लिए दोपहर 2 बजे अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा था.

कोर्ट ने आयोग से जो सवाल पूछे थे उनमें शामिल हैं...

  1. माइक्रो कंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में लगा होता है या फिर वीवीपैट में ?
  2. क्या माइक्रो कंट्रोलर वन टाइम प्रोग्रेमबल होता है ? 
  3. आयोग के पास चुनाव चिन्ह अंकित करने के लिए कितने यूनिट उपलब्ध हैं ? 
  4. आपने कहा कि चुनाव याचिका दायर करने की सीमा अवधि 30 दिन है और इस प्रकार स्टोरेज और रिकॉर्ड 45 दिनों तक बनाए रखा जाता है. लेकिन लिमिटेशन डे 45 दिन है, आपको इसे सही करना होगा.