आज जब कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के कार्यालय में पेश होने वाली हैं तभी लगभग 13 विपक्षी दलों ने कांग्रेस की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया. बैठक का मुद्दा था – केन्द्र सरकार की ‘प्रतिशोध की राजनीति'. विपक्षी नेताओं का आरोप है कि जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष के नेता को परेशान करने के लिए किया जा रहा है. इस बैठक की खास बात यह थी कि इसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस भी शामिल हुई. अब तक इस पार्टी ने उन बैठकों से दूर बना रखी थी जिसमें कांग्रेस शामिल होती थी.
इस बैठक में कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), IUML, NC, TRS, MDMK, NCP, VCK, शिवसेना और RJD के प्रतिनिधि शामिल हुए.
तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी इस बैठक में शामिल नहीं हुए.
समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों द्वारा एक बयान भी जारी किया गया जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के "दुरुपयोग" की निंदा की गई है.
यह बैठक ऐसे दिन हो रही है जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय ने तलब किया है. उन्हें सुबह 11 बजे जांच एजेंसी के कार्यालय पहुंचने को कहा गया है. सूत्रों ने कहा कि एआईसीसी के पदाधिकारी और फ्रंटल संगठनों के सदस्य उनके साथ ईडी कार्यालय जाएंगे.
बहरहाल, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आज लोकसभा में एक स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया ताकि भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) सीबीआई) जैसी जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर चर्चा की जा सके.
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