विज्ञापन
This Article is From Sep 24, 2021

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा राजस्थान विवाह पर नए कानून का मामला, अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती

राजस्थान विधानसभा ने हाल ही में बाल विवाह सहित विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण पर 2009 अधिनियम में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पारित किया था.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा राजस्थान विवाह पर नए कानून का मामला, अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती
याचिका में कहा गया है कि नया विवाह कानून बाल विवाह को सही ठहराता है.
नई दिल्ली:

राजस्थान विवाह पर नए कानून ( Rajasthan marriage new law) का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि नया विवाह कानून बाल विवाह को सही ठहराता है. बाल विवाह के पंजीकरण की अनुमति देने से खतरनाक स्थिति पैदा होगी. इससे बाल शोषण के मामलों में बढ़ोतरी होगी. यूथ बार एसोसिएशन ने यह याचिका दाखिल की है. बता दें कि याचिका में राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 की धारा 8 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. यह संशोधन बाल विवाह के पंजीकरण की अनुमति देता है. याचिका में कहा गया है कि राजस्थान सरकार बाल विवाह को पिछले दरवाजे से प्रवेश देकर अनुमति देने का इरादा रखती है, जो अवैध  है और कानून के तहत अस्वीकार्य है. 

बाल विवाह को वैध करने के आरोपों के बीच राजस्थान में नए बिल पर बवाल

दरअसल, राजस्थान विधानसभा ने हाल ही में बाल विवाह सहित विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण पर 2009 अधिनियम में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पारित किया था. 2021 के संशोधन में कहा गया है कि 21 साल से कम उम्र के दूल्हे और 18 वर्ष से कम उम्र की दुल्हन के माता-पिता या अभिभावक विवाह  की तारीख से तीस दिनों की अवधि के भीतर रजिस्ट्रार को ज्ञापन प्रस्तुत करने के लिए जिम्मेदार होंगे. जबकि 2009 के अधिनियम में लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए समान आयु 21 वर्ष रखी गई थी. याचिका में कहा गया है कि 'बाल विवाह' के पंजीकरण की अनुमति देने से 'खतरनाक स्थिति' पैदा हो जाएगी और इससे बाल शोषण की घटनाओं को और बढ़ावा मिल सकता है.

राजस्थान : '30 दिनों के अंदर बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन जरूरी', विवाह पंजीकरण संशोधन बिल पारित 

हमारा देश एक 'कल्याणकारी राज्य' है और सरकारें राष्ट्र के कल्याण के लिए काम करने के लिए बाध्य हैं. बच्चों के लिए सर्वोपरि विचार होना चाहिए. क्योंकि बच्चे एक विकासशील राष्ट्र के संसाधन होते हैं. याचिका में कहा गया है कि विधेयक विवाह योग्य उम्र पूरी नहीं करने वाले बच्चों के विवाह को सुरक्षित रखता है. इसमें आगे कहा गया है कि ऐसा विधेयक "बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के उद्देश्य को विफल कर देगा. जिसे बाल विवाह की ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए लाया गया था.

बाल विवाह को वैध करने के आरोपों के बीच राजस्थान में नए बिल पर बवाल

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com