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This Article is From Sep 20, 2021

बाल विवाह को वैध करने के आरोपों के बीच राजस्थान में नए बिल पर बवाल

राज्य के कानून मंत्री शांति धारीवाल ने कहा, "ये उच्चतम न्यायालय का फैसला है कि शादी चाहे माइनर की हो या मेजर की हो, उसका रजिस्ट्रेशन आवश्यक है." सदन के पटल पर, भी राज्य के कानून मंत्री ने कहा, "विवाह प्रमाण पत्र एक कानूनी दस्तावेज है जिसके अभाव में विधवा को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा."

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पिछले कुछ सालों में राजस्थान में कम उम्र में विवाह की संख्या में गिरावट आई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

जयपुर:

राजस्थान (Rajasthan) में विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के लिए अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार राजस्थान विवाह अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक (The Rajasthan Compulsory Registration Of Marriages (Amendment) Bill) लेकर आयी है, जो अब एक विवाद का विषय बन गया है. यह विवाद अनिवार्य अधिनियम 2009  की धारा 8  में लाये गए संशोधन को लेकर है, जिसमें लिखा है की उस विवाह का भी पंजीकरण 30 दिनों के अंदर होना चाहिए, जिसमें वर-वधू 18  और 21  साल से नीचे के हैं.  यानी बाल विवाह की स्थिति में वर-वधू के माता पिता को उनके विवाह का पंजीकरण करवाने की ज़िम्मेदारी होगी.

बाल विवाह का पंजीकरण हो इसको लेकर अब बवाल मच गया है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार सामाजिक बुराई बाल विवाह को बढ़ावा दे रही है. उधर, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा है कि पुराने कानून में तकनीकी बदलाव के अलावा नए बिल में कुछ नया नहीं है. बिल राजस्थान विधानसभा से पारित हो चुका है.

राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौर ने कहा, "विवाह पंजीकरण अधिनियम में संशोधन कर कांग्रेस सरकार ने सामाजिक बुराई को बढ़ावा देने का काम किया है. नए बिल में कहा गया है कि अगर दुल्हन की उम्र 18 साल से कम है और दूल्हे की उम्र 21 साल से कम है, तब भी उनकी शादी को सिर्फ एक आवेदन देकर पंजीकृत किया जा सकता है." 

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हालांकि, सरकार का कहना है कि बिल में लाए गए संशोधन का गलत मतलब निकाला जा रहा है. सरकार का कहना है कि बाल विवाह के पंजीकरण को उसकी वैधता से नहीं जोड़ा जा सकता है. पंजीकरण होने से पक्षकारों के खिलाफ जिला कलेक्टर और पंजीकरण अधिकारी नियमानुसार कार्रवाई करेंगे. सरकार का मानना है कि नए कानून के तहत ऐसे विवाह से अनाथ हुए बच्चे या विधवा हुई औरतों को संरक्षण मिल सकेगा.

राज्य के कानून मंत्री शांति धारीवाल ने कहा, "ये उच्चतम न्यायालय का फैसला है कि शादी चाहे माइनर की हो या मेजर की हो, उसका रजिस्ट्रेशन आवश्यक है." सदन के पटल पर, भी राज्य के कानून मंत्री ने कहा, "विवाह प्रमाण पत्र एक कानूनी दस्तावेज है जिसके अभाव में विधवा को किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा."

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में यह कहते हुए कम उम्र के लोगों का विवाह समेत सभी विवाहों को पंजीकृत करने का आदेश दिया था कि इससे सार्वजनिक रिकॉर्ड में उनके आ जाने से बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई करना आसान हो जाएगा क्योंकि वह दस्तावेजी साक्ष्य बन जाएगा.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के 2015-2016 के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में कम उम्र में विवाह की संख्या में गिरावट आई है. राज्य ने 2006 में बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया था.

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