- कल्याण में भाषा विवाद के कारण मराठी भाषी युवक अर्णव ने कथित आत्महत्या की है, पुलिस जांच कर रही है
- अर्णव के पिता के अनुसार ट्रेन में हिंदी भाषी छात्रों से झगड़ा हुआ था, जिसमें अर्णव को मारपीट और धमकाया गया था
- घटना के बाद अर्णव मानसिक तनाव में था और उसने परिवार को बताया कि उसे मराठी बोलने में शर्म की बात कही गई थी
महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर हिंदी भाषी और मराठी भाषी लोगों के बीच विवाद कोई नया नहीं है. बीते कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए भी हैं जिसमें किसी शख्स के साथ या तो मारपीट की गई है या फिर सरेआम अभद्रता की गई हो. लेकिन महाराष्ट्र के कल्याण में भाषा को लेकर छिड़े इस विवाद ने पहली बार किसी की जान ले ली है. बताया जा रहा है कि इस विवाद में एक मराठी भाषी युवक की जान चली गई है. पुलिस के अनसुार 19 वर्षीय युवक ने फांसी लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या की है. मृतक अर्णव के पिता ने पुलिस को बताया है कि उनके बेटे ने उनसे पहले बताया था कि भाषा विवाद को लेकर उनके बेटे का कथित तौर पर कुछ छात्रों से झगड़ा हुआ था. उस झगड़े के बाद ही उनके बेटे ने कदम उठाया. हालांकि, पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही है. पुलिस ने मृतक छात्र की पहचान अर्णव के रूप में की है.
इस मामले में अर्णव के पिता जितेंद्र खैर ने कहा है कि मेरा बेटा रोज़ की तरह कॉलेज के लिए निकला. सुबह ट्रेन में बैठकर जा रहा था, तो ट्रेन में धक्का-मुक्की हो रही थी. तो सामने उसके एक हिंदी भाषी था. अब वह कौन था, मैं यह नहीं बता सकता कि वह यूपी का था या कहां का था. तो वह समझ गया होगा शायद उसके हाव-भाव से, इसलिए उसने बोला कि वह हिंदी भाषी लड़का था.
जितेंद्र खैर ने आगे कहा कि मैंने उसे बताया कि मेरे ऊपर धक्का आ रहा है. तो उसने हिंदी में उससे कहा कि भाई, थोड़ा आगे धक्का दो, मेरे ऊपर धक्का आ रहा है. तो उसके जो बाकी यात्री थे, उन्होंने डायरेक्ट उसके गाल पर मारा. एक ने मारा और उसे कहा कि तुझे मराठी बोलना नहीं आता क्या? मराठी बोलने में शर्म आती है क्या? और उसे और मेरा बेटा डरते-डरते मुझे यह बता रहा था की उसको बोला कि तुझे मराठी बोलने में शर्म आती है क्या? मैंने उससे फिर पूछा कि "तुझे क्या बहुत मारा क्या? तो वो बोला हां पापा, वे बहुत सारे लोग थे और मुझे डराया उन्होंने. मैं बहुत डर गया था. इसलिए मुझे मुलुंड उतरना था, तो मैं ठाणे में उतरकर फिर कॉलेज गया.
तो यहां... वह डर गया था. हम घर में कभी गाली भी नहीं देते, कभी अपशब्द भी इस्तेमाल नहीं करते. यानी अपने अच्छे संस्कार ही ऐसे काम आते हैं. शायद मुझे मेरे बेटे को रफ़-टफ़ बनाना चाहिए था, यानी वह भी पलट कर जवाब देता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, वह मम्मी से बोला कि मुझे बात को बढ़ाना नहीं था, इसलिए मैं चुपचाप वहां से निकला और मैं ठाणे में उतरा. और ठाणे में उतरकर फिर वह मुलुंड के कॉलेज गया.
पुलिस में शिकायत की है?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने अपने कोलसेवाडी पुलिस में हमने शिकायत की है. और हमें उन पर भरोसा है कि वे इन्वेस्टिगेशन सही तरीके से करेंगे.
ऐसी घटना किसी के साथ ना हो
मैं कोई पॉलिटिकल इंसान नहीं हूं. मुझे कोई पॉलिटिकल पार्टी से कोई लेना-देना भी नहीं है. बस इतना ही कहूंगा कि ऐसी घटना दोबारा न हों. बस मुझे इतना ही बोलना है। मेरा बेटा तो चला गया, मेरा बेटा वापस अब आएगा नहीं पर ऐसे विवादों से ऐसी घटना दोबारा न हों और अगले ऐसी घटना से दूसरे लोगों के प्राण बचें. यही मेरी सोच है. मेरा बेटा केळकर कॉलेज में अब एसवाई बीएससी कर रहा था. फर्स्ट ईयर में था. उसे डॉक्टर बनना था, इसलिए उसकी वह कोशिशें चालू थीं, नीट (NEET) की एग्जाम की प्रिपरेशन चालू थी उसकी. डॉक्टर बनने का सपना था उसका. मैं भी एक बाप हूँ. मुझे यह सारी चीज़ें मुझे बार-बार याद आती हैं.
भाषा को लेकर हुआ था विवाद
इस मामले की जांच कर रही पुलिस के अनसुार ये पूरा मामला भाषा को लेकर हुआ विवाद से जुड़ा है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि अर्णव खैरे के पिता ने पुलिस स्टेशन में आकर बताया कि एक दिन पहले की अर्णव का ट्रेन में चढ़ने पर कुछ लड़कों से विवाद हो गया था. भीड़ में मौजूद इन लड़कों ने उसे पीटा था, जिसके कारण वह मानसिक तनाव में था. उनके पिता ने संदेह जताया है कि इसी कारण से उसने घर आकर आत्महत्या की होगी.
हिंदी बोलने को लेकर विवाद
कल्याण पुलिस के एसीपी कल्याणजी घेटे ने कहा कि उस संदर्भ में हमने एडीआर दाखिल किया है. उन्होंने बताया कि अर्णव केलकर कॉलेज का छात्र था और पढ़ने के लिए रोजाना ट्रेन से जाता था. उन्होंने बताया कि उन लड़कों ने कहा था, 'हिंदी क्यों बोलता है, ऐसा मराठी बोल'.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं