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हिमाचल में त्रासदी के बीच कैसे पहुंचे चंडीगढ़ से रोहतांग दर्रा, वहां कैसी दिखी व्यास नदी 

कुल्लू से रोहतांग राष्ट्रीय राजमार्ग पंचाल के पास काफ़ी बड़े हिस्से को नुक़सान पहुंचने के चलते इस राजमार्ग से जाना आसान नहीं था लेकिन हैरानी की बात ये थी कि पुराने रास्ते खुले थे यानि कोठी से होकर जाने वाला रास्ता खुला था.

हिमाचल में त्रासदी के बीच कैसे पहुंचे चंडीगढ़ से रोहतांग दर्रा, वहां कैसी दिखी व्यास नदी 
कुल्लू-मनाली में बेहतर हो रहे हैं हालात
  • कुल्लू-मनाली में अगस्त में आई त्रासदी ने राजमार्गों को क्षतिग्रस्त कर दिया था.
  • व्यास नदी के कटाव से राजमार्ग बंद हो गया था और यात्री कई घंटे फंसे रहने के बाद ही आगे बढ़ पाए थे
  • पुराने ग्रामीण रास्ते खुलने के कारण रोहतांग दर्रे तक पहुंचना संभव हुआ जबकि मुख्य राजमार्ग क्षतिग्रस्त था
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कुल्लू-मनाली में पिछले महीने जिस तरह की त्रासदी आई उसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. NDTV ने भी इस त्रासदी को ना सिर्फ पास से देखा बल्कि आपतक पल-पल की कवरेज भी पहुंचाई. हमारे रिपोर्टर ने इस कवरेज के दौरान कई दुर्गम पहाड़ियों और ऐसे इलाकों का दौरा किया जहां उस दौरान जा पाना उतना आसान नहीं था. आज हम आपसे वहीं अनुभव साझा करने जा रहे हैं. पढ़िए हमारे रिपोर्ट की डायरी...

कुल्लू-मनाली की त्रासदी कवर करने के लिए जब 25 अगस्त को दिल्ली से निकला और चंडीगढ़ पांच घंटे में पहुंच गया तब ये नहीं सोचा था कि मनाली पहुंचना इतना मुश्किल होगा. लेकिन मंडी से आगे बढ़ते ही मुश्किलें भी बढ़ने लगी. कुल्लू से करीब तीस किमी पहले देखा व्यास नदी ने राजमार्ग को काट दिया था 16घंटे फंसे रहने के बाद किसी तरह पहुंचे फिर कुल्लू से चार किमी दूर जाम में फंस गए क्योंकि एक तरफ का रास्ता ही लैंड स्लाइड की चपेट में आ चुका था रात 11 बजे कुल्लू पहुंचे.

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हल्की बारिश और शहर में डरावना सन्नाटा छाया हुआ था.कुल्लू से मनाली का सफर और ज्यादा मुश्किलों भरा था. चंडीगढ़ लेह राजमार्ग टूट जाने के कारण एक पुराना सिंगल रोड चल रहा था. बार बार लोग बोल रहे थे सालों पुराना गांव का रास्ता नहीं कटा लेकिन सरकार ने जो फ़ोर लेन बनाया था वो कई जगह व्यास नदी में तोड़ दिया. कई डरावने स्पॉट मसलन रायसन, नग्गर, कलाथ, पतली कोट जैसे रास्तों को पार करके हम किसी तरह मनाली पहुंचे, लेकिन ओल्ड मनाली का रास्ता ज़मींदोज़ हो गया था और पुल बैठ गया था.यहां हिमाचल पुलिस की मुस्तैदी और बारिश में रात भर ड्यूटी देते पुलिस और BRO के मजदूर को सेल्यूट. जो इस त्रासदी में ट्रैफ़िक और लोगों को लैंड स्लाइड से बचाने के लिए कोशिश करते दिखे. 

8 दिन बाद रोहतांग के लिए निकले

कुल्लू से रोहतांग राष्ट्रीय राजमार्ग पंचाल के पास काफ़ी बड़े हिस्से को नुक़सान पहुंचने के चलते इस राजमार्ग से जाना आसान नहीं था लेकिन हैरानी की बात ये थी कि पुराने रास्ते खुले थे यानि कोठी से होकर जाने वाला रास्ता खुला था. हम कोठी से चलते हुए रोहतांग दर्रे का सफर करीब तीन घंटे में पूरा किया.यहां से मनाली की घाटी देखकर हम हैरान रह गए रोहतांग दर्रे पर भेड़ चराने वाले लोगों ने बताया कि यहां बारिश बहुत कम हुई है लेकिन नीचे लगातार बारिश होने से अब यहां बर्फबारी हो रही है.

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हरी नाम के गद्दी यानि चरवाहा यहां सालों से बकरी और भेड़ चराने गर्मियों में आते थे और अक्तूबर में वापस जाते थे लेकिन उनका कहना है कि बीते तीन चार सालों में मौसम में ख़ासा बदलाव हुआ है. बर्फबारी होने से अब वो अपनी बकरियों को नीचे ले जा रहे हैं क्योंकि यहां रास्ता बंद होने का ख़तरा है और बर्फ जमने के वजह से चारा भी मुश्किल से मिलता है. रोहतांग दर्रे के व्यास कुंड से व्यास नदी एक झरने की तरह निकल रही थी लेकिन यही नदी 20 किमी नीचे जाकर तबाही मचा रही थी.

व्यास नदी में कई जगहों पर अपना किनारा बदला है लिहाज़ा राष्ट्रीय राजमार्ग और किनारों पर रिवर व्यू के लिए बनाए गए रिसार्ट और घरों को ख़ासा नुक़सान पहुंचा है. मौसम के जानकारों के मुताबिक अब ग्लोबल वार्मिंग के चलते बेमौसम तेज बारिश और बर्फबारी आम हो चुकी है.मौसम में इन बदलावों का सबसे पहला और बड़ा भुक्तभोगी पहाड़ और वहां रहने वाले लोग हैं.
 

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