
- हिमाचल प्रदेश की त्रासदी में सैकड़ों मकान और दर्जनों लग्जरी रिजॉर्ट बाढ़ में बह गए, जिससे बीमा की मांग बढ़ी है
- आमतौर पर नदी से सौ मीटर के भीतर बने मकानों और होटलों का बीमा कंपनियां सुरक्षित नहीं मानती हैं
- कुल्लू घाटी में 2023 के बाद मकानों का बीमा कराने के लिए लगभग दो सौ से ज्यादा इन्क्वायरी कॉल आई हैं
हिमाचल प्रदेश की त्रासदी में सैकड़ों मकान जमींदोज हो गए दर्जनों लग्जरी रिजॉर्ट ताश के पत्ते की तरह बह गए. इस त्रासदी के बाद लोगों में मकानों और होटलों का बीमा कराने में दिलचस्पी बढ़ने लगी है. आमतौर पर नदी से 100 मीटर के दायरे में बने किसी भी मकान या होटल का बीमा करने से कंपनियाँ कतराती है. नाम न छापने की शर्त पर एक बीमा कंपनी से जुड़े अधिकारी ने बताया कि पहले पहाड़ों में संपत्तियों का बीमा कराने की शायद ही कोई सोचता हो लेकिन 2023 के बाद मकान और होटलों का बीमा कराने में तेज़ी आई है.
वो बताते हैं कि 2025 की त्रासदी के बाद अकेले कुल्लू के लग्ग घाटी से करीब दो सौ से ज्यादा इन्क्वायरी कॉल मकानों का बीमा कराने के लिए आ चुकी है, लेकिन अब बीमा कंपनियाँ अपने बैंक के स्थानीय विशेषज्ञ और बारिश-बाढ़ के ट्रेंड को देखकर ही बीमा कर रही है. अगर स्थानीय विशेषज्ञ ने मकान या होटल को असुरक्षित होने की रिपोर्ट लगा दी तब मुश्किल है किसी भी प्रापर्टी का बीमा होना. NDTV ने एक दूसरे बैंक के अधिकारी से बात कि उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि होम लोन के साथ बीमा बैंक करती है. होम लोन तभी होता है जब नक़्शा पास होता है और वैध जमीन होती है…अलग से मकान का बीमा होने की प्रक्रिया जटिल है और इससे बैंक बचती भी हैं.
क्या कुल्लू में करोड़ों के वायरल रिसॉर्ट का बीमा है…
कुल्लू से करीब पंद्रह किमी दूर रायसन में शरार रिसॉर्ट के नीचे की जमीन धीरे धीरे सरक रही है और पूरा होटल ख़तरे की जद में है..नाम न छापने की शर्त पर स्थानीय बैंक के कर्मचारी ने बताया कि रिसार्ट का बीमा हुआ है, क्योंकि इस रिजार्ट को 2023 में भी नुक़सान हुआ था. उस वक्त भी नुकसान ज्यादा हुआ था लेकिन बैंक से कम ही पैसा मिला था. मकान और होटलों का बीमा करने वाले एक बैंक से जुड़े कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कम से कम 15-20 करोड़ का बीमा इस रिसार्ट का होगा, लेकिन नदी के इतने नज़दीक किसी बैंक से लोन होना भी अपने आप में हैरानी की बात है. अब बड़ा सवाल ये है कि इस रिसार्ट के नुक़सान का आंकलन कैसे होगा और क्या बैंक इसका पूरा पैसा देंगी.
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