Maharashtra Assembly Elections 2024: लोकसभा चुनाव के दौरान महाविकास अघाड़ी गठबंधन को मुंबई में ख़ास तौर से मुस्लिम वोटों (Muslim Voters) का फ़ायदा पहुंचा. बीजेपी ने इसे “वोट जिहाद (Vote Zihad)” का भी नाम दिया, लेकिन विधानसभा चुनाव के कैंडिडेट्स सूची में मुस्लिम उम्मीदवारों के चयन में कंजूसी दिखती है. समुदाय में नाराज़गी है. शरद पवार (Sharad Pawar) गुट एनसीपी नेता कह रहे हैं कि इससे एमवीए को नुक़सान पहुंच सकता है. सवाल उठता है कि मुस्लिम कार्ड खेलने वाली पार्टियों ने मुस्लिम उम्मीदवार चुनने में कंजूसी क्यों दिखाई?
मुस्लिम आबादी कितनी?
सवाल उठ रहे हैं कि जिस मुंबई शहर में मुस्लिम आबादी लगभग 20% है, लगभग 10 सीटों पर मुस्लिम आबादी 25% या उससे ऊपर है, फिर भी प्रमुख पार्टियों की उम्मीदवार सूची में मुसलमानों की संख्या एक से चार तक ही सीमित क्यों है? शरद पवार एनसीपी गुट पदाधिकारी और अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष नसीम सिद्दीकी कहते हैं कि समुदाय में उदासी का माहौल है, वोटों का गणित बिगड़ सकता है, जिससे एमवीए को नुक़सान पहुंचेगा.
शरद पवार गुट चिंतित
शरद पवार गुट एनसीपी में अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष नसीम सिद्दीकी का कहना है कि इससे महाविकास आघाड़ी को नुक़सान होगा. मुस्लिम समुदाय में नाराज़गी है.समन्वय बनाना होगा. शरद पवार से इस बारे में चर्चा करने की भी बात नसीम सिद्दीकी कर रहे हैं. उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय में ऐसा लगता है कि निराशा की भावना घर कर गई है, क्योंकि समुदाय के उम्मीदवारों की संख्या अपेक्षा से काफी कम है.इसका महाविकास आघाड़ी को नुक़सान पहुंच सकता है.
उद्धव ने कितने टिकट दिए?
उद्धव गुट शिवसेना ने वर्सोवा से अपने एकमात्र उम्मीदवार हारून खान को मैदान में उतारा है.जबकि शरद पवार की एनसीपी ने अनुशक्ति नगर से फ़हाद अहमद को उम्मीदवार बनाया है. जो नवाब मलिक की बेटी और एनसीपी अजित गुट की उम्मीदवार सना मलिक से भिड़ेंगे. मलिक ने खुद मानखुर्द-शिवाजीनगर से एनसीपी अजित गुट के उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है.जहां उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायक अबू आसिम आजमी से है, जबकि कांग्रेस छोड़ चुके जीशान सिद्दीकी बांद्रा पूर्व से एनसीपी अजित गुट के उम्मीदवार हैं. तो इस तरह अजित पवार ने 3 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे.
छोटी पार्टियों ने इतने दिए
छोटी पार्टियों में, प्रकाश अंबेडकर की वीबीए ने 9 मुसलमानों को मौका दिया है, जबकि AIMIM ने 4 उम्मीदवार उतारे हैं. टिकट बंटवारे की प्रक्रिया और उम्मीदवार चयन के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के प्रमुख सदस्यों ने असंतोष व्यक्त किया है. मुस्लिम एक्टिविस्ट और समाजसेवी ज़ायद ख़ान ने कहा कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) से ये उम्मीद नहीं थी. हमसे वोट बटोरे, लेकिन जब हमारे प्रतिनिधित्व के लिए कैंडिडेट चुनने की बारी आई तो ना के बराबर! धोखा है ये.
छोटी पार्टियों के लिए मौका?
वास्तव में, पिछले दो दशकों में चुने गए मुस्लिम विधायकों की संख्या एक अंक में ही रही है. इस बार, कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा एआईएमआईएम, वीबीए और राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल जैसी छोटी पार्टियों को भी जा सकता है. वैसे जानकार कहते हैं कि राज्य ही नहीं पूरे देश में मुस्लिम कैंडिडेट्स की संख्या घटी है.लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में अल्पसंख्यक वोट बड़े पैमाने पर एमवीए के पक्ष में एकजुट हो गए थे. इस तादाद में हुई लामबंदी को बीजेपी ने “वोट जिहाद” का भी नाम दिया! देखते हैं कम मुस्लिम कैंडिडेट्स का चुनावी मैदान में उतारा जाना कितना और किस दल पर असर दिखाता है!
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