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This Article is From May 18, 2022

क्या केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक और सुरजेवाला को छोड़ना होगा कांग्रेस में अपना पद?

वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक, 10 जनपथ के करीबी और भरोसेमंद माने जाते रहे हैं. वासनिक का नाम तो एक समय में कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उछला था.

केसी वेणुगोपाल को 10 जनपथ के करीबियों में शुमार किया जाता है

नई दिल्‍ली:

कांग्रेस पार्टी में बड़े स्तर पर कई फेरबदल होने जा रहे हैं. उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में तमाम चीजों के साथ यह भी तय हुआ है कि कोई भी व्यक्ति, किसी भी पद पर पांच साल से अधिक समय तक नहीं रह सकता. ऐसे में राहुल गांधी के सबसे करीबी माने जाने वाले केसी वेणुगोपाल को अपना पद छोड़ना पड़ सकता है. क्योंकि उनके कांग्रेस महासचिव के पद पर पांच साल पूरे हो चुके हैं. उन्हें साल 2017 में महासचिव बनाया गया था. वेणुगोपाल कई चुनावों में कांग्रेस वॉर रूम के इंचार्ज की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. राहुल गांधी के करीबियों में से एक वेणुगोपाल को राजस्थान से साल 2020 में राज्यसभा में लाया गया.

वहीं, पार्टी में दूसरा बड़ा नाम मुकुल वासनिक का है. वह भी लंबे समय से कांग्रेस संगठन में काबिज हैं. वासनिक को संगठन का नेता माना जाता है. वे एनसयूआई और यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. 1984 में महज 25 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव जीतकर वासनिक सबसे कम उम्र के सांसद बने थे. नए नियम के बाद उन्हें भी महासचिव का पद छोड़ना पड़ सकता है. वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक, 10 जनपथ के करीबी और भरोसेमंद माने जाते रहे हैं. वासनिक का नाम तो एक समय में कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उछला था. कुछ नाम और हैं जिनके बारे में अभी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि उन पर एक ही पद पर 5 साल का नियम लागू होगा या नहीं जैसे पीएल पूनिया जिन्हें जुलाई 2017 में छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया गया था.अगले दो महीने में प्रभारी पद पर पांच साल पूरे कर लेगें तो क्या इन पर भी ये नियम लागू होगा. दूसरा नाम कांग्रेस पार्टी का मीडिया में चेहरा माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला का है, उन्हें कांग्रेस महासचिव बने 2 साल ही हुए हैं मगर मीडिया प्रभारी बने हुए 5 साल हो चुके हैं. ऐसे में क्या कांग्रेस को एक नया मीडिया प्रभारी मिलेगा. ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिसका कांग्रेस के तमाम कार्यकर्ताओं को इंतजार है. 

दरअसल, उदयपुर चिंतन शिविर के बाद एक पद पर पांच साल के नियम के बाद दिल्ली कांग्रेस के एक जिला अध्यक्ष वीरेन्द्र कसाना ने अपना इस्तीफा दे दिया है. इसी तरह अखिल भारतीय फिशरमैन कांग्रेस के अध्यक्ष टीएन प्रतापन भी अपना इस्तीफा कांग्रेस को भेज चुके हैं. उन्हें 2017 में अध्यक्ष बनाया गया है. ऐसे में कांग्रेस के महासचिवों और प्रभारियों पर पांच साल के बाद पद छोड़ने का दबाब बढ़ेगा.

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