ट्रेन हादसों के बढ़ते सिलसिले को देखते हुए लोगों की सुरक्षा (Train Accidents) को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. इस बीच 'कवच सिस्टम' (What is Kavach) की चर्चा जोरों पर है, जो मौजूदा केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है. हाल में आई एक जानकारी में सामने आया है कि 'कवच' का वजन 4 के डिजाइन को RDSO ने अप्रूव कर दिया है. इसको लागू करने की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है.
आइए समझते हैं कवच क्या है? यह कैसे काम करता है? इसे लगाने की प्रक्रिया क्या है?
कवच क्या है?
कवच स्वदेशी रूप से विकसित ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम है. इसके लिए हाई लेवल के सुरक्षा सर्टिफिकेट की जरूरत होती है.
कवच कैसे काम करता है?
कवच लोको पायलट के ब्रेक लगाने में फेल होने की स्थिति में ऑटोमेटिक रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन को तय स्पीड लिमिट के अंदर चलाने में मदद करता है. खराब मौसम के दौरान ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में भी ये मददगार साबित होता है.
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कवच से क्या लाभ?
कवच को स्वतंत्र सुरक्षा निर्धारक द्वारा उच्चतम स्तर की सुरक्षा अखंडता स्तर - एसआईएल4 (SIL-4) के लिए प्रमाणित किया गया है. यह अपनी गैर-एसआईएल विशेषताओं के माध्यम से ब्लॉक सेक्शन और स्टेशनों पर चलने वाली लाइनों पर ट्रेन टकराव की संभावना को कम करता है. इसके साथ ही कवच में अन्य देशों द्वारा अपनाए जाने की क्षमता है.
कवच लगाने की क्या है प्रक्रिया?
1. प्रत्येक स्टेशन पर कवच लगाए जाएंगे.
2. पूरे ट्रैक की लंबाई में आरएफआईडी टैग लगाए जाएंगे.
3.पूरे सेक्शन में टेलीकॉम टावर लगाए जाएंगे.
4. ट्रैक के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना होगा.
5. भारतीय रेलवे पर चलने वाले प्रत्येक लोकोमोटिव पर लोको कवच का प्रावधान है.
कवच को अब तक कहां-कहां लगाया गया है?
कवच को अब तक दक्षिण मध्य रेलवे पर 1465 रूट किमी और 144 लोकोमोटिव (इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट रेक सहित) पर तैनात किया गया है.
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कवच का कितना हुआ काम?
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि मौजूदा समय में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (लगभग 3000 रूट किमी) पर कवच का कितना काम हुआ है:-
(i) ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना: 4275 किमी
(ii) दूरसंचार टावरों की स्थापना: 364
(iii) स्टेशनों पर कवच उपकरणों का प्रावधान: 285
(iv) लोको में कवच उपकरणों का प्रावधान: 319 लोको
(v) कवच ट्रैक साइड उपकरणों की स्थापना: 1384 रूट किमी.
इसके अलावा, भारतीय रेलवे पर अन्य 6000 आरकेएम पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और विस्तृत अनुमान को मंजूरी दी गई है. क्षमता बढ़ाने और कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए, अधिक OEM के परीक्षण विभिन्न चरणों में हैं.
ट्रायल के एक साल बाद भी सिर्फ 65 लोको इंजनों में लगा कवच
मई 2022 में अश्विनी वैष्णव ने रेल हादसे रोकने के लिए इंजनों को सुरक्षा कवच पहनाने की घोषणा की थी. देश में कुल 13,215 इलेक्ट्रिक इंजन हैं. इनमें सिर्फ 65 लोको इंजनों को ही कवच से लैस किया गया है.
कवच का वजन 4 अप्रूव
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार, 24 जुलाई लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि 16.07.2024 को, कवच 4.0 वर्जन को अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा अप्रूव किया गया है. इस वर्जन में विविध रेलवे नेटवर्क के लिए आवश्यक सभी प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं. यह भारतीय रेलवे के लिए सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. उन्होंने आगे कहा कि एक छोटी अवधि के भीतर, भारतीय रेलवे ने स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित, परीक्षण और तैनाती शुरू कर दी है.
कवच के लिए 1112.57 करोड़ रुपये का आवंटन
रेल मंत्री ने कहा कि कवच के काम के लिए अब तक 1216.77 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है. बजट 2024 में रेलवे के लिए 2.62 लाख करोड़ रुपये अलॉट किए गए हैं. इनमें से 1.08 लाख करोड़ रुपये सिक्योरिटी पर खर्च होंगे, जिनमें मेन फोकस कवच सिस्टम रहेगा.
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