विज्ञापन
This Article is From Jan 05, 2024

"पत्नी नहीं मिलने तक ही कोई बेटा रहता है, लेकिन एक बेटी जीवनभर बेटी रहती है": महिला सशक्तिकरण पर न्यायमूर्ति बी.वी नागरत्ना

न्यायपालिका को और अधिक समावेशी बनाने के लिए न्यायमूर्ति विश्वनाथन, जो सीजेआई भी बनेंगे, से मेरी तत्काल अपील है. कई मायनों में यह जस्टिस भंडारे को सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी."

"पत्नी नहीं मिलने तक ही कोई बेटा रहता है, लेकिन एक बेटी जीवनभर बेटी रहती है": महिला सशक्तिकरण पर न्यायमूर्ति बी.वी नागरत्ना

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने शुक्रवार को कहा कि न्यायपालिका ने लैंगिक समानता की दिशा में एक उल्लेखनीय भूमिका निभाई है और सार्वजनिक जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए सकारात्मक कदम उठाना सरकार के सभी अंगों का परम कर्तव्य है. अदालतों ने हमेशा भेदभाव को खत्म करने के लिए कदम उठाया है, लेकिन हमें अभी भी महिलाओं की नई पहचान नहीं दिख रही है.

महिलाओं को सशक्त बनाने पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, अदालतों ने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है कि भेदभाव शासन का हिस्सा नहीं है. न्यायपालिका ने एक विशेष भूमिका निभाई है और कानूनों को कायम रखने या उन्हें मजबूत करके प्रणालीगत अन्याय से निपटने के लिए रचनात्मक उपाय तैयार किए हैं. लैंगिक भेदभाव को खत्म करने के लिए अदालतों ने हमेशा कदम उठाया है. 

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने 28वें न्यायमूर्ति सुनंदा भंडारे स्मारक व्याख्यान को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए ‘‘भारतीय महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए न्यायपालिका की भूमिका'' पर बात की और इस विषय पर अपने स्वयं के निर्णयों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि एक बेटा तब तक बेटा रहता है जब तक उसे पत्नी नहीं मिल जाती, लेकिन एक बेटी जीवन भर बेटी रहती है.

गर्भवती कामकाजी महिलाओं की समस्याओं पर न्यायमूर्ति नवरत्न ने कहा, “महिलाओं से पूछा जाता है कि उनकी आखिरी माहवारी कब थी, यह जानने के लिए कि क्या वह गर्भवती हैं, और निजी क्षेत्र की महिलाएं मातृत्व अवकाश से लौटने पर अपनी जगह किसी और को पाती हैं, बच्चे के बाद उनकी नौकरी चली जाती है.

परिवार से संबंधित मुद्दों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “महिलाओं और पुरुषों दोनों को यह एहसास होना चाहिए कि वे दोनों विवाह के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं. परिवार को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. अन्यथा घरेलू हिंसा उभरती हुई प्रवृत्ति है. परिवार और महिलाओं की खुशी और भलाई पर आधारित होनी चाहिए. हर सफल आदमी के पीछे एक परिवार का होना जरूरी है.”

न्यायमूर्ति नवरत्न ने कहा, “अब समय आ गया है कि पुरुषों को यह एहसास हो कि महिलाओं की वित्तीय और शैक्षिक स्वतंत्रता का मतलब है कि वे सशक्त हैं. मैं संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा हूं, सशक्तिकरण के कारण महिलाओं को पुरुषों पर हावी नहीं होना चाहिए या किसी को दूसरों को नीचा नहीं देखना चाहिए. सम्मान और विनम्रता विवाह और परिवारों को बनाए रखने में बहुत मदद करेगी. विनम्र होना क्रोध के विपरीत है."

उन्होंने सभी संस्थानों से महिला सशक्तीकरण में मदद करने का अनुरोध करते हुए कहा, “मुझे एक ऐसे मुद्दे पर जोर देना चाहिए जो न्यायिक समीक्षा की गुणवत्ता के लिए महत्वपूर्ण है. न्यायपालिका को अधिक समावेशी और विविध बनाने में मदद करने के लिए संस्थानों की तत्काल आवश्यकता है. यह अदालतों की विश्वसनीयता और वैधता बनाएगा, भाषा में मदद करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि अदालतें अधिक लिंग तटस्थ बनें. 

न्यायपालिका को और अधिक समावेशी बनाने के लिए न्यायमूर्ति विश्वनाथन, जो सीजेआई भी बनेंगे, से मेरी तत्काल अपील है. कई मायनों में यह जस्टिस भंडारे को सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी."

उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए लगातार और लक्षित कार्यवाही नहीं किये जाने से समानता केवल एक नारा बनकर रह जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘हर भारतीय को जिन उपलब्धियों पर गर्व हो सकता है, उनमें से एक यह है कि हमारे पास दुनिया में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की सबसे बड़ी संख्या है."

ये भी पढे़ं:- 
T20 World Cup 2024 Schedule: टी20 वर्ल्ड कप के शेड्यूल का हुआ ऐलान, भारत-पाकिस्तान के बीच इस दिन खेला जायेगा मुकाबला

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com