
15 अगस्त 2025 के दिन लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने जीएसटी में रिफॉर्म की बात कही थी. इसके कुछ ही दिन बाद जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए. चार स्लैब से 2 स्लैब कर दी गईं. साथ ही कई प्रोडक्ट्स जीएसटी फ्री कर दिया गया. इसी पर SBI और भारतीय बैंक संघ के चेयरमैन सी.एस. सेट्टी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि जीएसटी रेट रेशनलाइजेशन से महंगाई को नियंत्रण करने में मदद मिलेगी.
'हाई डिस्पोजेबल इनकम के रूप में राहत'
चेयरमैन सेट्टी ने कहा, "घरेलू सामान, जिन पर पहले 12% और 18% टैक्स लगता था, अब 5% की श्रेणी में आ गए हैं. इससे आवश्यक वस्तुओं पर कम लागत और हाई डिस्पोजेबल इनकम के रूप में राहत मिलेगी. इस कटौती से मुख्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में भी नरमी आने की उम्मीद है क्योंकि बड़े पैमाने पर उपभोग की वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी".
'कर सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर'
सेट्टी ने कहा, "भारत जैसे-जैसे आर्थिक तौर पर ट्रांसफॉर्म कर रहा है और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, 5% और 18% की दो-स्तरीय और आसान जीएसटी स्ट्रक्चर का फैसला, जिसमें हानिकारक वस्तुओं पर 40% टैक्स शामिल है, देश में अप्रत्यक्ष कर सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर है.
'मांग और क्रेडिट का विस्तार बढ़ेगा'
SBI चेयरमैन का आंकलन है कि ज्यादा खर्च करने की क्षमता के साथ, मांग और क्रेडिट का विस्तार बढ़ेगा, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी. इसी तरह, बीमा क्षेत्र को भी कम प्रीमियम और बेहतर सुरक्षा कवरेज तथा व्यापक बीमा पहुंच का लाभ मिलेगा. व्यवसायों को भी एक सरल व्यवस्था से लाभ होने की उम्मीद है.
उनकी नजर में जीएसटी कॉउंसिल ने जो नया फ्रेमवर्क तैयार किया है, उससे देश में एक अव्यवस्था-मुक्त, नेक्स्ट जनरेशन जीएसटी व्यवस्था तैयार होगी जो सरल, अधिक पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित होगी.
कम जीएसटी दरों से होने वाली शॉर्ट टर्म रेवेन्यू लॉस की भरपाई अधिक खपत और मजबूत आर्थिक गतिविधियों से होने की उम्मीद है, जिसका आने वाली तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि और फिस्कल हेल्थ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. GST 2.0 का तात्कालिक और दीर्घकालिक -- दोनों स्तर पर सकरात्मक प्रभाव होगा क्योंकि यह पहल विकास को मजबूत करेगी.
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