
- इंदौर के एमवायएच के आईसीयू में चूहों के हमले से दो नवजात बच्चियों की मौत हो गई.
- एक नवजात बच्ची के पिता का कहना है कि अस्पताल ने भर्ती के बाद उन्हें घर भेज दिया और मौत की सूचना नहीं दी गई थी.
- एमवायएच प्रशासन ने आरोपों को खारिज करते हुए बच्चियों की मौत को गंभीर जन्मजात विकृतियों से जोड़ा है.
इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में चूहों के हमले से दो नवजात बच्चियों की मौत हो गई है. दम तोड़ने वाली दो नवजात बच्चियों में से एक बच्ची का परिवार शनिवार को एमवायएच पहुंचा और अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया. बच्ची के पिता ने यह आरोप भी लगाया कि उसकी बेटी को भर्ती करने के बाद एमवायएच प्रशासन ने उसे घर भेज दिया और चूहों के हमले के बाद उसकी बेटी की मौत की सूचना देने की जहमत तक नहीं उठाई. एमवायएच प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज किया है.
आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली बच्ची का परिवार इंदौर के पड़ोसी धार जिले के ग्रामीण क्षेत्र का रहने वाला है. बच्ची के पिता देवराम ने संवाददाताओं से कहा,‘‘मैंने अपनी नवजात बेटी को एमवायएच में बच्चों के आईसीयू में भर्ती कराया था। एमवायएच के कर्मचारियों ने हमसे घर जाने को बोला और कहा कि बच्ची के स्वास्थ्य की जानकारी वे हमें फोन पर दे देंगे. हमने दो दिन तक इंतजार किया, लेकिन हमें कोई फोन नहीं आया. बाद में हमें पता चला कि चूहों के काटने के बाद मेरी बेटी की मौत हो गई.''
मेरी बेटी की मौत लापरवाही से हुई
उन्होंने बताया कि जन्मजात विकृति के कारण उनकी बेटी के शरीर में मलद्वार नहीं बनने की दिक्कत के चलते उसे एमवायएच में भर्ती कराया गया था. अपनी बेटी की मौत के शोक में डूबे पिता ने कहा,‘‘आईसीयू में चूहे कैसे घुस गए और उन्होंने नवजात बच्चों को कैसे काट लिया? मेरी बेटी की मौत एमवायएच प्रशासन की लापरवाही से हुई है. हम न्याय चाहते हैं. एमवायएच के आला अधिकारियों को निलंबित किया जाए.''
एमवायएच प्रशासन ने नवजात बच्ची की मौत के बाद दावा किया था कि अलग-अलग जन्मजात विकृतियों से जूझ रही इस बच्ची को उसके माता-पिता लावारिस हालत में छोड़कर चले गए थे. एमवायएच, शहर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से संबद्ध है. बच्ची के पिता के आरोपों पर महाविद्यालय के अधिष्ठाता (डीन) डॉ. अरविंद घनघोरिया ने कहा,‘‘हमारे अस्पताल के आईसीयू में जो बच्चे भर्ती होते हैं, उनके माता-पिता आईसीयू के बाहर उनके पास ही रहते हैं. मृत नवजात बच्ची के माता-पिता को हमारे साथ ही पुलिस ने भी तय प्रक्रिया के तहत ढूंढने की कोशिश की थी, लेकिन उनका पता नहीं चल सका था.''
एमवायएच में प्रदर्शन किया गया
डीन ने कहा कि दोनों नवजात बच्चियों की मौत का चूहों के काटने से कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों के कारण पहले से मौजूद गंभीर स्वास्थ्यगत परेशानियों से दम तोड़ा. घनघोरिया ने कहा,'गंभीर जन्मजात विकृतियों के कारण दोनों बच्चियों को विश्व के किसी भी अस्पताल में नहीं बचाया जा सकता था/ उच्चस्तरीय समिति की जांच में यह बात साबित हो जाएगी.' इस बीच, आदिवासी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के बड़ी तादाद में मौजूद कार्यकर्ताओं ने मृत बच्ची के माता-पिता के साथ एमवायएच में प्रदर्शन किया.
प्रदर्शनकारियों ने चूहों के हमले के बाद दम तोड़ने वाली दोनों नवजात बच्चियों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने और एमवायएच के जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित करके उन पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की.
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