
India air strike on Pakistan: 2016 का उरी सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 का बालाकोट एयर स्ट्राइक या अन्य पिछले भारतीय ऑपरेशन अपने पैमाने और दायरे में सीमित थे. लेकिन 7 मई की रात पाकिस्तान के खिलाफ किया गया ऑपरेशन सिंदूर तकनीकी रूप से मजबूत, व्यापक था. भारत ने अब तक पाकिस्तान के खिलाफ जो मिशन किए थे, यह उससे विपरीत था. पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में 100 किमी की गहराई तक एयर स्ट्राइक करने के कदम से एक बात सामने आई है: भारत ने आज की जरूरत को देखते हुए पहले के डॉक्टरिन या सिद्धांत को पीछे छोड़ दिया है.
ऑपरेशन सिंदूर न केवल बालाकोट ऑपरेशन के बाद भारत की तरफ से किया गया सबसे व्यापक सीमा पार हमला था, बल्कि यह भारत की रणनीतिक स्थिति में एक बदलाव का भी प्रतीक था.
यह एयर स्ट्राइक 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. खुफिया एजेंसियों को हमलावरों के पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से कनेक्शन मिला है, जिसका भारतीय नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने का लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है. जवाब में, ऑपरेशन सिंदूर की कल्पना न केवल अपनी ताकत के जवाबी प्रदर्शन के रूप में की गई, बल्कि पाकिस्तानी धरती से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद की नींव को कमजोर करने के प्रयास के रूप में भी की गई.
टारगेट
इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया. इनमें मुजफ्फराबाद, कोटली, बहावलपुर, रावलकोट, चकस्वारी, भीमबेर, नीलम घाटी, झेलम और चकवाल शामिल हैं. मिसाइल हमलों की कुल संख्या 24 थी, जिससे यह भारत द्वारा अब तक एक दिन में पूरा किया गया सबसे व्यापक और सटीक ऑपरेशन बन गया.
ऐसा नहीं है कि इन 9 आतंकी ठिकानों को अचानक चुन लिया गया. इनमें से हरेक लंबे समय से भारत की खूफिया एजेंसियों की निगरानी में था. सरकारी सूत्रों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे समूहों किन ठिकानों का उपयोग करते हैं, इसे पुख्ता करने के लिए भारतीय खुफिया ने सैटेलाइट से मिली तस्वीरों और मानव सोर्स का इस्तेमाल किया. साथ ही आतंकियों के फोन और इंटरनेट को इंटरसेप्ट किया गया.
इन आतंकी ठिकानों पर यह देखा गया कि किस बिल्डिंग का उपयोग वैचारिक उपदेश देने के केंद्र, हथियार रखने के डिपो, लॉजिस्टिक हब और स्लीपर सेल योजना के लिए किया जाता है. कई मामलों में, आतंकवादी इन बिल्डिंग का कैसे और कब उपयोग करते हैं, उसके पैटर्न को जानने, लॉजिस्टिक गतिविधि की पुष्टि करने के लिए UAV सर्विलांस को काम में लाया गया.
हथियार और प्लेटफार्म
ऑपरेशन सिंदूर में वायुसेना, नौसेना और आर्मी, तीनों ने मिलकर काम किया है और तीनों के हथियार काम में आए हैं. ऑपरेशन में हवा से ही लॉन्च होने वाली SCALP क्रूज मिसाइलों, हैमर गाइडेड बम और loitering munitions का उपयोग किया गया. इन्हें भारतीय वायु सेना के विमानों से भारतीय क्षेत्र के अंदर से ही लॉन्च किया गया, संचालित किया गया था.
250 किमी से अधिक की रेंज वाली SCALP (स्टॉर्म शैडो) मिसाइलों को बंकरों और कमांड पोस्टों सहित कठोर लक्ष्यों पर हमला करने के काम लाया गया. हैमर (हाईली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज) बमों का इस्तेमाल बहुमंजिला इमारतों पर किया गया. वहीं loitering munitions, जिसे कामिकेज ड्रोन के रूप में भी जाना जाता है, ने दोहरी भूमिका निभाई: यह रियल टाइम में सर्विलांस कर रहा था और अगर कोई बड़ा आतंकी (हाई वैल्यूड टारगेट) दिखता है तो इससे तुरंत हमला किया जाता है.
एक सरकारी सूत्र ने कहा, "30 मिनट में ही सभी मिसाइलों ने अपने निर्धारित लक्ष्यों पर हमला कर दिया था. आतंकियों को बचने का मौका न देने और सर्प्राइज एलिमेंट को अधिकतम करने के लिए हमलों को सिंक्रनाइज किया गया था यानी एक साथ अंजाम दिया गया. यूएवी से मिले रियल टाइम फुटेज ने तमाम टारगेट के विनाश की पुष्टि की. पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में गहराई तक जाकर निशाना बनाने का यह निर्णय भारत के पूर्व सिद्धांत से हटकर था. यह भारत की रणनीतिक दृढ़ता के एक नए स्तर को चिह्नित करता है."
9 आतंकी ठिकाने तबाह
- बहावलपुर- 100 किलोमीटर अंदर
- मुरीदके- 30 किलोमीटर अंदर
- गुलपुर- 35 किलोमीटर अंदर
- सवाई कैंप- 30 किलोमीटर अंदर
- बिलाल कैंप- दूरी निर्दिष्ट नहीं है
- कोटली कैंप- 15 किलोमीटर अंदर
- बरनाला कैंप- 10 किलोमीटर अंदर
- सरजल कैंप- 8 किलोमीटर अंदर
- महमूना कैंप- 15 किलोमीटर अंदर
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