"गर्भवती महिलाओं के भर्ती के नियम अवैध", दिल्ली महिला आयोग ने इंडियन बैंक को भेजा नोटिस

डीसीडब्ल्यू प्रमुख ने कहा, "यह स्वीकार्य नहीं है कि एक गर्भवती महिला को 'अस्थायी रूप से अनफिट' कहा जाए और काम के अवसरों से वंचित किया जाए."

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:

दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सोमवार को इंडियन बैंक को एक नोटिस जारी कर उसके "नए भर्ती नियमों" को वापस लेने की मांग की है. बैंक द्वारा जारी नए भर्ती नियम तीन या अधिक महीने की गर्भवती महिला के सेवा में तुरंत शामिल होने से इनकार करता है. पीटीआई ने बताया कि नियम के अनुसार, "एक महिला उम्मीदवार, जो टेस्ट में 12 सप्ताह या उससे अधिक की गर्भवती पाई जाती है, को प्रसूति समाप्त होने तक अस्थायी रूप से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए. उम्मीदवार की प्रसव के छह सप्ताह बाद फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए फिर से जांच की जानी चाहिए और एक रजिस्टर्ड डॉक्टर से फिटनेस प्रमाण पत्र लेना चाहिए." 

बैंक की ये सेवा शर्त भेदभावपूर्ण

मीडिया रिपोर्टों के जवाब में, आयोग ने कहा कि बैंक की ये सेवा शर्त भेदभावपूर्ण और अवैध है क्योंकि यह 'सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020' के तहत प्रदान किए जाने वाले मातृत्व लाभों के विपरीत है. आयोग ने अपने नोटिस में कहा कि इस कदम से गर्भवती महिलाओं के शामिल होने की प्रक्रिया में देरी होगी और बाद में, वे अपनी वरिष्ठता खो देंगी. आयोग ने बैंक को नए जारी किए गए 'महिला विरोधी' दिशानिर्देशों को वापस लेने और अपने अनुमोदन प्राधिकरण के साथ नीति कैसे तैयार की गई थी, इसकी पूरी जानकारी देने के लिए कहा है.

मालीवाल ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शकिकांत दास को भी एक पत्र लिखा है और इस मामले में हस्तक्षेप करने और देश के सभी बैंक को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है, जिससे उन्हें ऐसे "अवैध और असंवैधानिक नियम बनाने से बचना चाहिए जो महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं."

तुरंत वापस लिया जाना चाहिए

डीसीडब्ल्यू प्रमुख ने कहा, "यह स्वीकार्य नहीं है कि एक गर्भवती महिला को 'अस्थायी रूप से अनफिट' कहा जाए और काम के अवसरों से वंचित किया जाए. यह पितृसत्तात्मक मानसिकता और कुप्रथा को दर्शाता है जो अभी भी हमारे समाज में प्रचलित है. नियम भेदभावपूर्ण व अवैध हैं और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. इसके अलावा, बैंकों को भविष्य में इस तरह के दिशानिर्देश जारी करने से रोका जाना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि आरबीआई इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगा और दिशानिर्देश तैयार करेगा. साथ ही बैंकों को ऐसे नियम बनाने से रोकने के लिए जवाबदेही तय करेगा. "

इस बीच, अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (एआईडीडब्ल्यूए) ने भी 12 सप्ताह से अधिक गर्भवती महिला उम्मीदवारों को नियुक्त नहीं करने के इंडियन बैंक के "महिला विरोधी" फैसले की निंदा की है. ऑल इंडिया वर्किंग वुमन फोरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में इस कदम को "प्रतिगामी और स्त्री विरोधी मुद्रा" करार दिया है.

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