इसी महीने 10 तारीख को हुए राज्यसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) चुनाव में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच एक और मुकाबला देखने को मिलेगा. महाराष्ट्र विधान परिषद की 10 सीटों के लिए कुल 11 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जिसमें महा विकास अघाड़ी (एमवीए सहयोगी) - शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने अपने दो-दो उम्मीदवार उतारे हैं. जबकि बीजेपी ने पांच उम्मीदवारों को नामित किया है.
नौ उम्मीदवारों की जीत तय
विधानसभा में एमवीए और बीजेपी की ताकत को देखते हुए नौ उम्मीदवारों की जीत तय है. ऐसे में 10वीं सीट के लिए कांग्रेस के मुंबई अध्यक्ष भाई जगताप और बीजेपी के प्रसाद लाड के बीच जबरदस्त मुकाबला होगा. मालूम हो कि 10 जून को छह सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार संजय पवार, जो पहले दौर में आगे चल रहे थे, बीजेपी के धनंजय महादिक से हार गए. देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली बीजेपी ने छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों को अपने में मिलाकर तीन सीटों पर कब्जा किया था.
इस बार पिछली गलतियों से सीख लेते हुए, कांग्रेस और एनसीपी नेताओं ने पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री व शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ बैठक कर राज्य विधान परिषद के चुनाव की रणनीति पर चर्चा की. होर्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए पार्टियों ने अपने विधायकों को शहर के अलग-अलग होटलों में रखा है.
राज्यसभा चुनाव में हार दुर्भाग्यपूर्ण
उद्धव ठाकरे ने रविवार को विश्वास जताया कि एमवीए में कोई फूट नहीं होगा. उन्होंने एमएलसी चुनावों में क्रॉस वोटिंग की संभावना से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "राज्यसभा चुनाव में हार दुर्भाग्यपूर्ण थी. राज्यसभा चुनाव में शिवसेना के वोट नहीं बंटे थे. हमें अंदाजा है कि क्या गलत हुआ. एमएलसी चुनाव दिखाएगा कि हमारे बीच कोई फूट नहीं है."
288 सदस्यीय महाराष्ट्र सदन की प्रभावी ताकत घटकर 285 हो गई है. तीन विधायक आज वोट नहीं देंगे क्योंकि शिवसेना के एक विधायक रमेश लटके की हाल ही में मृत्यु हो गई. जबकि दो एनसीपी विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक वर्तमान में जेल में हैं और उनको बॉम्बे हाईकोर्ट ने एमएलसी चुनावों के लिए मतदान करने की अनुमति से वंचित कर दिया.
बीजेपी आराम से जीत सकती है चार सीट
बता दें कि एमएलसी चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए कम से कम 26 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता होती है. 106 विधायकों के साथ बीजेपी आराम से पांच में से चार सीटें जीत सकती है. लेकिन जिस पांचवीं सीट से प्रसाद लाड चुनाव लड़ रहे हैं, उसके लिए पार्टी को दलबदलुओं और निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन की जरूरत होगी.
55 विधायकों वाली शिवसेना और 51 विधायकों वाली राकांपा क्रमश: अपनी दो सीटें आसानी से जीत सकती है, जबकि केवल 44 विधायकों वाली कांग्रेस को अपने दूसरे उम्मीदवार भाई जगताप के निर्वाचित होने के लिए निर्दलीय और अन्य छोटी पार्टियों से कम से कम आठ प्रथम वरीयता के वोटों की आवश्यकता होगी.
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