ज्ञानवापी विवाद मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा है कि 1991 में दाखिल किए गए ऑरिजिनल सूट पर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है. लेकिन दूसरे पक्ष की तरफ से उस मामले को बाईपास करने के लिए 2021 में दूसरी याचिका दाखिल की गई. इस मामले में दोनों याचिकाएं प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के खिलाफ हैं.
याचिका में कहा गया है कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने अपने फैसले के जरिए इस कानून पर अपनी मुहर भी लगाई थी. वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी मामले में सर्वेक्षण कराने से पहले कमेटी की आपत्तियों पर विचार नहीं किया. मंदिर के पैरोकारों ने यह नई याचिका 1991 में दाखिल की गई याचिका को दरकिनार करके दाखिल की है.
याचिका में कहा गया है कि जब प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भी कर दी गई है कि अयोध्या में राम मंदिर के अलावा और कोई स्थिति में बदलाव नहीं किया जाएगा तो वाराणसी की कोर्ट ने यह आदेश कैसे दिया है. गौरतलब है कि निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद में वीडियो सर्वे कराने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था. हाईकोर्ट ने मस्जिद कमेटी की अर्जी को खारिज कर दिया था. अब कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है.
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