- दिल्ली पुलिस ने करोल बाग में अवैध मोबाइल असेंबलिंग और IMEI बदलने वाली यूनिट का भंडाफोड़ किया है.
- आरोपी चोरी के मदरबोर्ड को चीन से मंगाए गए नए फोन पार्ट्स से जोड़कर नकली फोन बना रहे थे.
- लैपटॉप सॉफ्टवेयर WRITEIMEI की मदद से मोबाइल के IMEI नंबर को मिटाकर नया IMEI लिखा जाता था.
दिल्ली पुलिस ने करोल बाग के भीड़भाड़ वाले इलाके में एक ऐसी हाई-टेक अवैध मोबाइल असेंबलिंग और IMEI बदलने वाली यूनिट का भंडाफोड़ किया है, जो पिछले दो साल से चोरी, लूट और साइबर फ्रॉड जैसे अपराधों में इस्तेमाल होने वाले मोबाइल फोन 'नए' बनाकर बाजार में उतार रही थी.
ऑपरेशन CYBERHAWK के तहत की गई इस कार्रवाई में 5 आरोपी गिरफ्तार किए गए और 1826 मोबाइल फोन, सॉफ्टवेयर-सिस्टम समेत IMEI टैंपरिंग का पूरा सेटअप जब्त किया गया.
कैसे काम करता था यह क्राइम नेटवर्क? (Modus Operandi)
1. स्क्रैप मार्केट से पुराने मदरबोर्ड की खरीद
आरोपी दिल्ली और NCR के स्क्रैप मार्केट से चोरी के टूटे-फूटे क्षतिग्रस्त मोबाइल फोन बेहद कम दाम में खरीदते थे. इन फोन के पुराने मदरबोर्ड को ही नई 'फैक्ट्री लाइन' में इस्तेमाल किया जाता था.
2. चीन से आती थी ‘नई बॉडी'
मोबाइल फोन की नई बॉडी, फ्रेम और पैनल चीन से बड़ी खेप में मंगाए जाते थे. पार्ट्स सप्लायर हर महीने हजारों बॉडी किट इस यूनिट तक पहुंचाते थे. ये अपराधी पुराने मदरबोर्ड और नई चाइनीज़ बॉडी को मिलाकर नया मोबाइल फोन तैयार करते थे.
3. लैपटॉप पर IMEI बदलने वाला सॉफ्टवेयर चलता था
यूनिट में लैपटॉप पर WRITEIMEI 0.2.2 / WRITEIMEI 2.0 जैसे विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता था. इनकी मदद से मोबाइल का असली IMEI नंबर मिटाकर नया IMEI लिख दिया जाता था, जिससे फोन को ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो जाता था. साथ ही, IMEI स्कैनर और रीडर मशीन से नए IMEI को वेरिफाई किया जाता था.
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4. पुराने मदरबोर्ड को फिट कर बनता था नया फोन
पुलिस की रेड के दौरान आरोपी पुराने मदरबोर्ड को नई बॉडी में फिट कर रहे थे. सॉफ्टवेयर से IMEI बदल रहे थे और पैकिंग कर सीधे बिक्री के लिए तैयार कर रहे थे. यह पूरी यूनिट एक मिनी मोबाइल फैक्ट्री की तरह चल रही थी.
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5. तैयार फोन का नेटवर्क
नकली 'नए फोन' को करोल बाग, गफ़्फार मार्केट, दिल्ली–NCR के विभिन्न मोबाइल बाजारों में अलग-अलग चैनलों से बेचा जाता था. ये फोन अपराधियों की पहली पसंद बन चुके थे क्योंकि बदला हुआ IMEI पुलिस ट्रैकिंग को लगभग असंभव बना देता था.
पुलिस ने मौके से क्या-क्या बरामद किया?
ऑपरेशन CYBERHAWK में पुलिस ने अवैध यूनिट से भारी मात्रा में सामग्री जब्त की.
- 1826 मोबाइल फोन (तैयार और आधे तैयार)
- IMEI बदलने वाला लैपटॉप
- WRITEIMEI 2.0 सॉफ्टवेयर
- IMEI स्कैनर/रीडर मशीन
- हजारों मोबाइल बॉडी पार्ट्स
- नकली IMEI लेबल की बड़ी खेप
- मोबाइल असेंबलिंग के उपकरण
पुलिस के अनुसार, यह यूनिट हर महीने सैकड़ों नकली फोन मार्केट में भेज रही थी.
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कैसे खुला अवैध फैक्ट्री का राज?
करोल बाग थाना पुलिस पिछले 15 दिनों से इलाके में संदिग्ध मोबाइल गतिविधियों की निगरानी कर रही थी. बीदनपुरा, गली नंबर 22 के एक बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर चल रही गतिविधियों पर लगातार इनपुट मिल रहे थे.
20 नवंबर 2025 को इनपुट की पुष्टि के बाद ‘Aditya Electronics & Accessories' नाम के ठिकाने पर छापा मारा गया. छापा मारते ही पुलिस ने देखा कि यहां तो आरोपी पुराने मदरबोर्ड फिट कर रहे थे. लैपटॉप पर IMEI बदल रहे थे और फोन को डिब्बों में पैक कर रहे थे. यहीं से पूरा मॉड्यूल पकड़ में आ गया.
पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों की गिरफ्तारी भी की है. इनमें यूनिट मालिक अशोक कुमार (45), रामनारायण (36), धर्मेंद्र कुमार (35), दीपांशु (25) और दीपक (19) शामिल है.
अब क्या तलाश रही पुलिस?
अब पुलिस जांच कर रही है कि पुराने मदरबोर्ड किस नेटवर्क से आते थे? चीन से बॉडी पार्ट्स कौन मंगवा रहा था? और तैयार फोन किन डिस्ट्रीब्यूटर्स और दुकानदारों तक पहुंचते थे?
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