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This Article is From Jun 23, 2022

महाराष्ट्र : "यह है विधायकों की भावना...", सियासी संकट के बीच एकनाथ शिंदे ने ट्विटर पर साझा किया खत

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि अगर बागी विधायक यह घोषणा करते हैं कि वह उन्हें (ठाकरे) मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते तो वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं.

महाराष्ट्र : "यह है विधायकों की भावना...", सियासी संकट के बीच एकनाथ शिंदे ने ट्विटर पर साझा किया खत
शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे (फाइल)
मुंबई:

शिवसेना विधायक व महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को ट्विटर पर एक पत्र साझा किया. पार्टी से बगावत कर 39 के करीब पार्टी विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा जमाए बैठे नेता ने पत्र साझा कर सीधे तौर पर सीएम उद्धव ठाकरे  पर निशाना साधा और कहा कि ये विधायकों की भवना है. दरअसल, बंगला छोड़ने से पहले सरकार पर आई संकट पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि अगर बागी विधायक यह घोषणा करते हैं कि वह उन्हें (ठाकरे) मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते तो वह अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं.

पिछले ढाई साल से दरवाजे बंद

एकनाथ ने संजय शिरसाट नाम के विधायक द्वारा लिखा गया पत्र साझा किया है. पत्र सीएम उद्धव ठाकरे ने नाम है लेकिन संबोधित उसमें बाला साहेब ठाकरे को किया गया है. बुधवार को लिए गए पत्र में कहा गया, " हम यह पत्र अपने विट्ठल हिंदू हृदय सम्राट शिव सेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को इसलिए लिख रहे हैं, क्योंकि कल सही मायने में वर्षा बंगले के दरवाजे जनता के लिए खोल दिए गए थे.  बंगले पर भीड़ देखकर खुशी हुई. पिछले ढाई साल से शिवसेना विधायक के तौर पर हमारे लिए ये दरवाजे बंद थे."

पत्र में आगे कहा गया, " एक विधायक के रूप में बंगले में प्रवेश करने के लिए हमें विधान परिषद और राज्यसभा में बेईमान लोगों के बारे में अपना मन बनाना पड़ा जो हमारी जान लेने जा रहे हैं. तथाकथित (चाणक्य लिपिक) वाडवे हमसे यही कर रहे थे और राज्यसभा व विधान परिषद चुनाव की रणनीति तय कर रहे थे. इसका परिणाम सिर्फ महाराष्ट्र ने देखा है. शिवसेना विधायक के रूप में जब हम शिवसेना के मुख्यमंत्री थे, तब हमें वर्षा बंगले तक सीधी पहुंच नहीं मिली. मुख्यमंत्री मंत्रालय की छठी मंजिल पर सभी से मिलते हैं, लेकिन हमारे लिए छठे मंजिल का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि आप कभी मंत्रालय में नहीं गए."

अपमानजनक व्यवहार क्यों किया जाता है?

पार्टी निधायक ने पत्र में लिखा, " कई बार निर्वाचन क्षेत्र के काम, अन्य मुद्दों, व्यक्तिगत समस्याओं के लिए सीएम से मिलने का अनुरोध करने के बाद, वाडवे की ओर से आपको वर्षा बंगले पर बुलाने का संदेश आया लेकिन इसे बंगले के गेट पर घंटों खड़ा रखा जाएगा. अगर मैं कई बार वाडवे को फोन करता, तो वाडवे का फोन नहीं मिलता. आखिरकार हम ऊब जाते और चले जाते. हमारा सवाल यह है कि तीन से चार लाख मतदाताओं में से चुने गए हमारे स्वयंभू विधायकों के साथ ऐसा अपमानजनक व्यवहार क्यों किया जाता है?"

शिंदे ने भलाई के लिए ये निर्णय लिया

पत्र में विधायक ने एकनाथ शिंदे को मसीहा बताया है और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर उन्हें अयोध्या जाने से रोकने का आरोप लगाया गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि लगातार अनदेखी और भेदभाव के कारण एकनाथ शिंदे ने भलाई के लिए ये निर्णय लिया है. हमें विश्वास है कि उनके दरवाजे हमारे लिए हमेशा खुले रहेंगे. पार्टी विधायक ने कहा, " कल आपने जो कुछ कहा, जो कुछ हुआ वह बहुत भावुक कर देने वाला था. लेकिन हमारे बुनियादी सवाल कहीं नहीं मिलते. इसलिए मुझे अपनी भावनाओं को आप तक पहुंचाने के लिए यह भावनात्मक पत्र लिखना पड़ा." 

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