कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को नई दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के पहले एक सोशल मीडिया पोस्ट कर हलचल मचा दी. इस पोस्ट में उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी और पीएम मोदी की तस्वीर साझा की. उन्होंने आरएसएस और भाजपा के मजबूत संगठन की तारीफ की. साथ ही यह बताने का प्रयास किया कि कैसे जमीनी स्तर का नेता मजबूत संगठन के कारण देश का प्रधानमंत्री भी बन सकता है. दिग्विजय सिंह की इस तस्वीर ने कांग्रेस में हलचल मचा दी. सीडब्ल्यूसी की मीटिंग के ठीक पहले दिग्गी राजा की पोस्ट ने कई सवाल खड़े किए. ऐसा संदेश गया कि उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है.
1995 गांधी नगर की है वो तस्वीर
लेकिन क्या आपको पता है कि दिग्विजय सिंह ने जो तस्वीर शेयर की है, वो कब और कहां की है.. असल में ये तस्वीर 14 मार्च 1995 की गांधीनगर गुजरात की. ये भाजपा का सुनहरा दिन था. जब भाजपा ने विधानसभा चुनावों में 121 सीटें जीतकर चिमनभाई पटेल की कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था. तस्वीर केशुभाई पटेल के पहली बार मुख्यमंत्री बनेने के शपथग्रहण समारोह की है. शपथग्रहण समारोह के लिए बने विशाल पंडाल में भारी भीड़ उमड़ी थी. वहां मंच पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी कुर्सी पर बैठे थे. उनकी बायीं ओर पत्नी कमला आडवाणी और दायीं ओर बीजेपी नेता छबीलदास मेहता बैठे हैं. उनके ठीक पीछे प्रमोद महाजन बैठे हैं. साथ ही आनंदी बेन पटेल भी दिख रही हैं.

Modi
आडवाणी के साथ युवा नरेंद्र मोदी
नीचे फर्श पर आडवाणी के पास भाजपा के एक युवा कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी बैठे थे. नरेंद्र मोदी तब गुजरात भाजपा के संगठन महामंत्री के तौर पर काम कर रहे थे और गुजरात भाजपा संगठन की रीढ़ माने जाते थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा से निकलकर भाजपा में 1987 से सक्रियता के बाद उन्होंने चुनावी रणनीति को धार देने का काम किया. एलके आडवाणी की रथ यात्रा से गुजरात में हिंदुत्व की लहर पैदा की. तब गुजरात में 100 से ज्यादा सीटों का श्रेय भी उन्हें मिला. पार्टी का कहना है कि वरिष्ठों के सम्मान में फर्श पर बैठना भाजपा-आरएसएस की अनुशासन संस्कृति का प्रतीक है.
केशूभाई पटेल का शपथग्रहण समारोह
छह बार के विधायक और आरएसएस प्रचारक रहे केशुभाई पटेल उस वक्त शपथ ले रहे थे. गुजरात में भगवा पार्टी की सरकार बनने के बीच भीड़ में जोशीले नारे गूंज रहे. हालांकि 1996 में शंकरसिंह वाघेला के विद्रोह से केशुभाई की कुर्सी गई और वो फिर 1998 में लौटे, मगर भुज में विनाशकारी भूकंप के बाद 2001 में मोदी ही मुख्यमंत्री बने.
यह तस्वीर उसी राजनीतिक संघर्ष की गवाह बनी, जो 2025 में दिग्विजय सिंह के पोस्ट से फिर वायरल हुई है. इसे संगठन की ताकत का प्रतीक बताकर दिग्विजय सिंह ने पोस्ट किया.
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