पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में बेहद लचर प्रदर्शन के बाद पार्टी के और नेता, आमूलचूल 'सुधार' और नेतृत्व में बदलाव की मांग करने लगे हैं. यह मांग अब तक "G-23" (23 असंतुष्ट नेताओं के ग्रुप) के नेता ही कर रहे थे जिन्होंने दो साल पहले सोनिया गांधी को इस बारे में पत्र लिखा था. कांग्रेस ने गुरुवार को आाए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे में अपनी सत्ता वाला पंजाब भी आम आदमी पार्टी के हाथों गंवा दिया. आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में तो पूरा जोर लगाने के बाद भी कांग्रेस को दो सीटें ही आईं. उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी पार्टी अपने प्रदर्शन से कोई असर छोड़ने में नाकाम रही. हालत यह है कि पार्टी इस समय केवल दो राज्यों (राजस्थान और छत्तीसगढ़) में ही सत्ता में रह गई है.
इस वर्ष के अंत में पार्टी को एक और 'बड़े टेस्ट' से गुजरना है जो मुख्य विपक्षी के तौर पर पार्टी के भविष्य का फैसला कर सकता है. यदि पार्टी ने गुजरात और कर्नाटक के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो यह राज्यसभा में विपक्ष के नेता के पद को गंवा सकती है ठीक लोकसभा की तरह, जहां वह पद की अर्हता हासिल करने के लिए जरूरी 'नंबर' (सीटों की संख्या) हासिल करने में नाकाम रही थी.
गांधी परिवार के नेतृत्व के खिलाफ पाटी में ही रहकर आवाज उठा रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा- कोई सुधार नहीं आने वाला. इन नेताओं ने कहा-बहुत देर हो चुकी है. इनके अनुसार, इस 'आपदा' की आशंका पहले भी जताई जा चुकी है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी द्वारा लिए गए फैसलों पर दिल्ली में कांग्रेस के नेता सवाल उठा रहे हैं. इन नेताओं का कहना है कि इन फैसलों ने पंजाब में पार्टी को 'आत्म विनाश' की ओर पहुंचा दिया. हालांकि इस बीच कुछ कांग्रेस नेता, गांधी परिवार के प्रति निष्ठा जताते हुए भी आगे आए हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि गांधी परिवार के बिना कांग्रेस एकजुट नहीं रह सकती. कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख शिवकुमार ने कहा, "गांधी परिवार के बिना कांग्रेस का 'वजूद' असंभव है. जो लोग सत्ता के भूखे हैं, वे कृपया पार्टी छोड़ दें. हममें से बाकी लोग सत्ता में रहने के इच्छुक नहीं हैं और गांधी परिवार के साथ ही रहेंगे."
पंजाब की बात करें तो राज्य कांग्रेस में कई महीनों की अंदरूनी खींचतान के बाद, चुनाव के चार माह पहले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से रिप्लेस करने का फैसला किया गया. यह कदम उठाने के लिए मजबूर करने वाले नवजोत सिद्धू बाद में भी नाखुश ही रहे और 'कैप्टन' के उत्तराधिकारी (नए सीएम) चरणजीत सिंह चन्नी के लिए परेशानियां खड़ी करते रहे. एक कांग्रेस नेता ने कहा, 'सीके वेणुगोपाल जैसे सीनियर नेता आखिरकार सिद्धू मामले को कैसे होने दे सकते हैं. यह एक व्यवस्थागत नाकामी और सिस्टम का पतन है. ' यूपी विधानसभा चुनाव के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा का स्लोगन 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' भी फ्लॉप रहा. एक नेता ने कहा, 'यूपी में हमें पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में कम प्रतिशत वोट मिली. क्या हो रहा है, इसे देखने के लिए हमें मौसम पूर्वानुमान (weather forecast)की जरूरत नहीं है.' एक कांग्रेस नेता का कहना है कि चुनाव में इवेंट मेनेजर्स और उपकरणों के साथ करोड़ों रुपये की राशि खर्च की गई लेकिन इस सबसे भी वोट नहीं मिले. एक राज्य में महिलाओं को 40% सीट दी गई तो एक अन्य में केवल चार फीसदी.' एक वरिष्ठ नेता ने रोष जताते हुए कहा, 'हमें इस बात को लेकर गुस्सा है. हमसे न तो सलाह ली गई और न ही हमें चुनाव फैसलों में शुमार किया गया. '
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