प्रवर्तन निदेशालय के रायपुर जोनल ऑफिस ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के मामले में 15 जनवरी 2025 को कवासी लखमा (विधायक) को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था. उन्हें विशेष अदालत (PMLA), रायपुर में पेश किया गया, जहां अदालत ने कवासी लखमा को 6 दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया है. कवासी लखमा घोटाले के समय छत्तीसगढ़ राज्य के आबकारी मंत्री थे. ईडी ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के मामले में एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की.
शराब घोटाले में कवासी लखमा की भूमिका
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि कवासी लखमा आबकारी विभाग के सभी कार्यों और शराब घोटाले से परिचित थे. लेकिन उन्होंने इस अवैध गतिविधि को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. वह एक ऐसे सिंडिकेट का हिस्सा थे, जिसने नीतियों में बदलाव करके FL-10A लाइसेंस पेश किया. इस घोटाले से कवासी लखमा को हर महीने कम से कम 2 करोड़ रुपये मिलते थे. जांच में यह भी सामने आया कि कवासी लखमा ने घोटाले से कमाए पैसे का उपयोग अचल संपत्तियों को बनाने में किया.
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला के बारे में...
- 2019-2022 के बीच हुआ बड़ा घोटाला
- ईडी की जांच में शराब घोटाले में ये खुलासा हुआ
- पार्ट-A कमीशन: कई डिस्टिलर्स से प्रति केस शराब की खरीद पर रिश्वत
- पार्ट-B कच्ची शराब बिक्री: बिना रिकॉर्ड की गई देशी शराब की बिक्री, जिससे राज्य को कोई राजस्व नहीं मिला
- पार्ट-C कमीशन: डिस्टिलर्स से रिश्वत लेकर उन्हें बाजार में हिस्सा तय करने का मौका दिया गया
- FL-10A लाइसेंस: विदेशी शराब सेगमेंट में रिश्वत के जरिए कमाई
- 2100 करोड़ रुपये का अवैध धन
जांच में खुलासा हुआ कि इस घोटाले ने राज्य को भारी नुकसान पहुंचाया, जबकि सिंडिकेट के सदस्यों ने 2100 करोड़ रुपये से अधिक का अवैध पैसा इकठ्ठा किया. पहले भी इस मामले में गिरफ्तारियां भी हुई है. इस मामले में ईडी पहले ही अनिल तुतेजा (पूर्व आईएएस अधिकारी), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर और अरुण पति त्रिपाठी को गिरफ्तार कर चुकी है.
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