सूडान से वापस आई दिव्या राजशेखरन का कहना है कि सूडान में संघर्ष के दौरान उनका सारा पैसा और कीमती सामान छीन लिया गया और वह अफ्रीकी देश से वापस लौटने की सभी उम्मीदें खो चुकी थीं. राष्ट्रीय राजधानी से यहां पहुंची दिव्या ने बृहस्पतिवार को हवाई अड्डे पर कहा, ‘‘अब मेरे पास केवल एक जोड़ी कपड़े और पासपोर्ट ही है.''
‘ऑपरेशन कावेरी' के तहत हिंसाग्रस्त सूडान से निकाले गये नौ तमिलों के पहले समूह में शामिल दिव्या ने कहा कि सूडान की वह छवि जो उन्होंने उस देश में अपने जीवन के आठ वर्षों के दौरान बनाई थी, वह पिछले 15 दिनों में तेजी से खराब हुई है. उन्होंने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, ‘‘हमने सोचा था कि हिंसा दो-चार दिनों में खत्म हो जायेगी, लेकिन तीसरे दिन से हमारी समस्याएं और बढ़ गईं.''
उन्होंने कहा कि उनका घर अर्द्धसैनिक प्रमुख के कार्यालय के निकट स्थित था. उन्होंने कहा, ‘‘मेरी कार, डॉलर और अन्य कीमती सामान छीन लिया गया और संघर्ष के आठवें दिन हम खानाबदोश बन गये.''
दिव्या ने कहा कि सौभाग्य से, भारतीय दूतावास ने उनसे और इसी तरह की परिस्थितियों में रहने वाले अन्य भारतीयों से संपर्क किया और उन्हें नई दिल्ली ले आए. इनमें से चार लोग मदुरै से थे, जो अपने गृहनगर के लिए रवाना हो गये और चेन्नई और वेल्लोर के पांच नागरिक दिल्ली से यहां पहुंचे. यहां मदिपक्कम की रहने वाली दिव्या ने कहा, ‘‘अब मुझे नये सिरे से अपने जीवन की शुरुआत करनी है. मुझे सूडान लौटने की कोई उम्मीद नहीं है.'' उन्होंने उनकी मदद करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को धन्यवाद दिया.
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