पटना उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें बिहार के जेल नियमों में संशोधन को चुनौती दी गई है, जिसके जरिए गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को तीन दशक पहले एक आईएएस अधिकारी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा के बाद रिहाई का मार्ग प्रशस्त हो सका था. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकीरी जी कृष्णैया की लगभग तीन दशक पहले हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को बृहस्पतिवार सुबह बिहार की सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया.
गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी कृष्णैया की हत्या के मामले में मोहन को दोषी ठहराया गया था. वर्ष 1994 में आईएएस अधिकारी कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी. तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले कृष्णैया अनुसूचित जाति से थे.
याचिकाकर्ता अनुपम कुमार सुमन ने बुधवार को जनहित याचिका (पीआईएल) की ई-फाइलिंग के ‘स्क्रीनशॉट' के साथ अपने ट्विटर हैंडल पर जानकारी साझा की.
सुमन ने कहा, ‘‘मैंने कल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें इस खतरनाक संशोधन को चुनौती दी गई है जिससे बिहार में एक सरकारी कर्मचारी की हत्या के दोषी को दी गई सजा में छूट दी गई.''
मोहन का नाम उन 20 से अधिक कैदियों की सूची में शामिल था, जिन्हें इस सप्ताह के शुरू में राज्य के कानून विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना द्वारा रिहा करने का आदेश दिया गया था, क्योंकि उन्होंने 14 साल से अधिक समय सलाखों के पीछे बिता लिए है.
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