बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को गहन चिकित्सा जांच के लिए मंगलवार को पटना के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. पटना के एक निजी अस्पताल के एक चिकित्सक ने आज सुबह किशोर के घर जाकर उनके स्वास्थ्य की जांच की. उन्होंने बताया 'उन्हें चिकित्सा संबंधी कुछ समस्याएं हैं जिनकी गहन जांच की जरूरत है. हम उन्हें गहन चिकित्सा जांच के लिए अस्पताल ले जा रहे हैं. आमरण अनशन कर रहे किशोर को संक्रमण, निर्जलीकरण, कमजोरी और बेचैनी की समस्या है. उनको एक एंबुलेंस में निजी अस्पताल ले जाया गया.
जमानत पर कल हुए रिहा
किशोर को सोमवार को पुलिस ने 'अवैध' आमरण अनशन के लिए गिरफ्तार किया था. यहां की एक अदालत द्वारा न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के कुछ घंटों बाद उन्हें 'बिना शर्त' जमानत पर रिहा कर दिया गया. इससे पहले, किशोर ने जमानत की शर्तों को 'अनुचित' बताते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.
पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे किशोर को सोमवार की सुबह गिरफ्तार किया गया था. उनके खिलाफ पिछले सप्ताह दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, उन्होंने पटना उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए गांधी मैदान में 'आमरण अनशन' किया. पटना जिला प्रशासन ने शहर के गर्दनीबाग इलाके के अलावा किसी अन्य स्थान पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन पर रोक लगा रखी है.
अस्पताल जाने से पहले किशोर ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, 'मेरा आमरण अनशन जारी रहेगा. बीपीएससी द्वारा 13 दिसंबर को आयोजित 70वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा के प्रश्नपत्र कथित तौर पर लीक होने के आरोपों के बीच, इस परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर उम्मीदवारों द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन का किशोर ने समर्थन किया है.
पूर्व चुनाव रणनीतिकार किशोर ने 30 दिसंबर को इस मुद्दे को लेकर पटना के गांधी मैदान में विरोध प्रदर्शन किया था जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और पानी की बौछार की थी. इसके बाद किशोर ने अपने एक पार्टी सहयोगी को एक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा से बात करने के लिए भेजा था, लेकिन गतिरोध दूर नहीं हुआ.
इसके बाद, किशोर ने दो जनवरी को 'आमरण अनशन' शुरू किया और 13 दिसंबर की परीक्षा रद्द करने के अलावा पिछले एक दशक में राज्य में हुए सभी प्रश्नपत्र लीक पर 'श्वेत पत्र' जारी किए जाने और एक 'आवासीय नीति' बनाने की भी मांग की, ताकि दो तिहाई सरकारी पद बिहार के लोगों के लिए आरक्षित हो सकें.
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