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This Article is From Nov 01, 2023

NGO फंड में गड़बड़ी मामले में तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति को सुप्रीम कोर्ट से राहत

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग को ठुकरा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता और उनके पति को जांच में सहयोग करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम अग्रिम जमानत को नियमित अग्रिम जमानत किया.

NGO फंड में गड़बड़ी मामले में तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति को सुप्रीम कोर्ट से राहत
तीस्ता सीतलवाड़ (फाइल फोटो)

NGO फंड में गड़बड़ी का मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है. जिससे दोनों की अग्रिम जमानत बनी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग को ठुकरा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता और उनके पति को जांच में सहयोग करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम अग्रिम जमानत को नियमित अग्रिम जमानत किया.

जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. इस दौरान गुजरात सरकार की ओर से पेश ASG एसवी राजू ने कहा कि दोनों जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, उनको इस तरह गिरफ्तारी से संरक्षण नहीं दिया जा सकता. SC ने धन के गबन के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को अग्रिम जमानत देने के गुजरात HC के 2019 के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. इसमें दंपति को मामले में जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया गया है.

यह केस 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के लिए जुटाए गए धन के कथित गबन को लेकर गुजरात पुलिस द्वारा दंपत्ति के खिलाफ दर्ज की गई तीन FIR  से संबंधित है.दंपति की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ मामले आठ साल से लंबित हैं. सिब्बल ने अदालत को बताया कि पुलिस ने वर्षों बाद भी मामलों में अभी तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है और दंपति को कई साल पहले जमानत मिल गई थी. पीठ ने कहा कि समय बीतने और आरोपपत्र दाखिल किए जाने के साथ, याचिका निष्प्रभावी हो गई है.

प्रतिवादी मुकदमे में सहयोग करेंगे, अपीलकर्ता के लाभ के लिए 12 फरवरी, 2015 का अंतरिम आदेश जारी रहेगा. अपील का निपटारा किया जाता है. दरअसल दंगों के बाद, सीतलवाड और आनंद ने कथित तौर पर एक संग्रहालय के निर्माण और हाउसिंग सोसायटी के प्रभावित निवासियों को सहायता प्रदान करने के लिए दान के रूप में करोड़ों रुपये जुटाए. यह पैसा सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस नामक गैर-लाभकारी संगठनों और सबरंग ट्रस्ट के तहत एकत्र किया गया था, जिसमें सीतलवाड और आनंद ट्रस्टी के रूप में थे.

पहली एफआईआर के अलावा, दंपति के खिलाफ सीबीआई द्वारा एक और एफआईआर दर्ज की गई थी. आरोप है कि दोनों ने सबरंग कम्युनिकेशन एंड पब्लिशिंग के जरिए कथित तौर पर केंद्र सरकार से अनिवार्य मंजूरी के बिना अमेरिका स्थित फोर्ड फाउंडेशन से 1.8 करोड़ रुपये प्राप्त किए. दंपति के खिलाफ तीसरी एफआईआर इस आरोप में दर्ज की गई थी कि उन्होंने 2010 और 2013 के बीच सबरंग ट्रस्ट के लिए सरकारी फंड में अवैध रूप से 1.4 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे.

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