हमारा लाइफस्टाइल बदलता जा रहा है या कहें अधिकतर लोगों की लाइफस्टाइल ख़राब होती जा रही है. शायद कई लोगों की ज़िंदगी में आराम ज़्यादा आ रहा है. पहले के मुकाबले शारीरिक मेहनत का काम कम हो रहा है. इसका वजह से मोटापा बढ़ रहा है. अब हमारी जिंदगी में डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन जैसी तकलीफें आम हो चुकी हैं.
इसे सुधारने की ज़रूरत है. इसके लिए हम कई तरह की कोशिशें भी करते हैं. जैसे योग, व्यायाम, ध्यान वगैरह... साथ ही खाने-पीने में भी कई तरह के बदलाव हम कर रहे हैं. ऐसा ही एक बदलाव रहा Artificial sweeteners यानी कृत्रिम चीनी का इस्तेमाल. इसकी वजह ये है कि मीठे के लिए जिस चीनी को हम अपने खाने-पीने में मिलाते हैं उसमें काफी कैलोरी होती है. और उससे वज़न तो बढ़ता ही है, डायबिटीज़ के लिए भी वो घातक है.
इसीलिए कई साल पहले आर्टिफिशियल स्विटनर (Artificial sweeteners) या नॉन-शुगर स्विटनर्स (Non-Sugar Sweeteners) का चलन बढ़ा. कहा गया कि मीठे के शौकीन चीनी के बजाय इसका इस्तेमाल करें, तो चीनी से होने वाले नुकसान कम हो जाएंगे. आर्टिफिशियल स्विटनर एक केमिकल है, जो कम मात्रा में साधारण चीनी से कहीं ज़्यादा मीठेपन का अहसास देता है. कुछ आर्टिफिशियल स्विटनर में कैलोरी होती है, लेकिन बहुत ही कम मात्रा में. इसे लेने पर आपके शरीर की कैलोरी नहीं बढ़ती, लेकिन सवाल ये है कि क्या आर्टिफिशियल स्विटनर चीनी का सही विकल्प है.
WHO ने दी चेतावनी
इस सिलसिले में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने गाइडलाइन के तौर पर एक ख़ास चेतावनी जारी की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सलाह दी है कि नॉन-शुगर स्विटनर्स (Non-Sugar Sweeteners) या Artificial sweeteners का इस्तेमाल वज़न घटाने या वज़न काबू में रखने के लिए न किया जाए. WHO ने नॉन-शुगर स्विटनर्स शब्द का इस्तेमाल किया है.
लंबी रिसर्च के बाद आई WHO का की ये गाइडलाइन
WHO का की ये गाइडलाइन उस लंबी रिसर्च के बाद सामने आयी है, जो बताती है कि नॉन-शुगर स्विटनर्स के इस्तेमाल से शरीर में फैट यानी चर्बी घटाने से जुड़े लंबे समय तक रहने वाले फ़ायदे नहीं दिखे हैं. इस रिसर्च में ये भी सामने आया है कि नॉन-शुगर स्विटनर्स के इस्तेमाल से कई अन्य दिक्कतें बढ़ सकती हैं. जैसे टाइप 2 डायबिटीज़, दिल से जुड़ी बीमारियां.
शुगर घटाने के लिए नैचुरल तरीकों का करें इस्तेमाल
WHO के मुताबिक, लोगों को शुगर घटाने के लिए दूसरे तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए. जैसे कुदरती तौर पर जिन चीज़ों में शुगर होती है उनका इस्तेमाल करना चाहिए जैसे फल वगरैह या बिना मीठे का खानपान. WHO के डायरेक्टर फॉर न्यूट्रिशन एंड फूड सेफ्टी के मुताबिक, नॉन-शुगर स्विटनर्स खानपान के लिए ज़रूरी नहीं हैं. उनमें कोई पोषक मात्रा भी नहीं होती. लोगों को सेहत सुधारने के लिए अपने खाने-पीने में मीठे का इस्तेमाल ज़िंदगी में की शुरुआत से ही कम कर देना चाहिए.
WHO का ये सुझाव सभी लोगों के लिए लागू होता है. सिवाय उन को छोड़कर जिन्हें पहले से डायबिटीज़ है. इस सुझाव के तहत वो सभी कृत्रिम या कुदरती या उसके बदले स्वरूप से जुड़े स्विटनर्स शामिल हैं, जिन्हें शुगर नहीं माना जाता. और जो खाने-पीने की चीज़ों में मिलाए जाते हैं.
आर्टिफिशियल शुगर नैचुरल शुगर से कई गुना ज्यादा मीठा
बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सीनियर डायरेक्टर और एंडोक्राइनोलोजिस्ट डॉक्टर अशोक कुमार झिंगन इस बारे में बताते हैं, " नॉन-शुगर स्विटनर्स मार्केट में काफी वक्त से मिल रही हैं. इसे लेकर कई तरह के दावे भी किए जा रहे हैं. लेकिन ऐसे आर्टिफिशियल स्विटनर्स के ज्यादा इस्तेमाल से कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं. क्योंकि आर्टिफिशियल शुगर नैचुरल शुगर से कई गुना ज्यादा मीठा होता है. आर्टिफिशियल स्विटनर्स के अंदर केमिकल चेंज किए जाते हैं. इसलिए ये ज्यादा मीठा हो जाता है."
आर्टिफिशियल शुगर से डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा
डॉक्टर झिंगन आगे बताते हैं, "आमतौर पर लोग ये मानकर चलते हैं कि आर्टिफिशियल शुगर, शुगर फ्री है. लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि शुगर फ्री कैलोरी फ्री नहीं होती. इसके इस्तेमाल से व़जन बढ़ता है. डायबिटीज होने का खतरा बढ़ता है. हार्ट से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है. कुछ रिसर्च के मुताबिक, लंबे समय तक आर्टिफिशियल शुगर के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा भी रहता है. हालांकि, इसे लेकर ज्यादा साइंटिफिक सबूत नहीं हैं."
आर्टिफिशियल शुगर के दिखते हैं ये साइड इफेक्ट्स
डॉक्टर झिंगन बताते हैं, "बेशक आर्टिफिशियल स्विटनर्स से आप अपने मुंह के स्वाद को संतुष्ट कर सकते हैं. लेकिन इससे आपको कुछ तो साइड इफेक्टस होंगे ही. सबसे आम साइड इफेक्ट मुंह का स्वाद बदल जाना है. ज्यादातर मरीज इसकी शिकायत करते हैं. इसके बाद मरीज के पेट में क्रैप्स आने लगती हैं. कई लोगों ने आर्टिफिशियल शुगर के इस्तेमाल के बाद रात को नींद नहीं आने की शिकायत भी की है. इसलिए 12 साल से छोटे बच्चों और प्रेग्नेंट महिलाओं को हम आर्टिफिशियल शुगर का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है."
आर्टिफिशियल शुगर के इस्तेमाल से बढ़ती है कैलोरी
डॉक्टर झिंगन के मुताबिक, आमतौर पर हम लोग ये सोचते हैं कि आर्टिफिशियल शुगर के इस्तेमाल से कोई कैलोरी नहीं बढ़ती, जबकि ऐसा नहीं है. अगर आप आर्टिफिशियल स्वीट्स की बात करें, तो इसमें बेशक चीनी न हो, लेकिन मिठाई की चीजें तो होंगी ही, जैसे खोया. इसलिए इस तरह के आर्टिफिशियल स्वीट्स आपके अंदर टोटल कैलोरी इनटेक को बढ़ाती हैं. आर्टिफिशियल शुगर से व़जन घटता कम है, बल्कि बढ़ता ज्यादा है."
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