
- सिक्किम को जोड़ने वाली सेवोक-रंगपो रेललाइन की सुरंग संख्या 7 के पास कंक्रीट ढांचा भूस्खलन से क्षतिग्रस्त हुआ.
- पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग के तीस्ता बाजार के पास भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं.
- रेलवे ने भारी मशीनरी और श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिया है, इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ.
उत्तर बंगाल और सिक्किम में पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश के बीच आज एक बड़ी घटना सामने आई है. हिमालयी राज्य सिक्किम को जोड़ने वाली प्रमुख रेल संपर्क परियोजना-सेवोक-रंगपो रेललाइन की एक महत्वपूर्ण सुरंग के पास स्थित पहुंच ढलान की सुरक्षा करने वाला कंक्रीट ढांचा भूस्खलन की चपेट में आकर ढह गया.
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के सूत्रों के अनुसार, यह घटना पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग जिले में तीस्ता बाजार के पास रवि झोरा क्षेत्र में सुरंग संख्या 7 के निकट हुई. यह स्थान सिक्किम की सीमा से सटा हुआ है. लगातार हो रही बारिश के कारण इलाके में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे निर्माण कार्यों को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है.
एनएफआर सूत्रों ने बताया कि भारी बारिश और भूस्खलन के कारण भारी मशीनरी और श्रमिकों को पहले ही क्षेत्र से हटा दिया गया था. इस घटना में कोई चोट या हताहत नहीं हुआ. हालांकि, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो बेहद नाटकीय है.
एनएफआर सूत्रों ने आगे बताया कि मलबा हटाने का काम जारी है. सेवोक-रंगपो रेलवे परियोजना, सबसे चुनौतीपूर्ण रेलवे परियोजनाओं में से एक है, जिसे इंजीनियरिंग के चमत्कार के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि यह पश्चिम बंगाल के सेवोक को सिक्किम के रंगपो से जोड़ेगी. यह 45 किलोमीटर लंबी रेल लाइन सिक्किम को राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ेगी.
इस परियोजना में 14 सुरंगें, 13 प्रमुख पुल और 5 स्टेशन शामिल हैं और 86% मार्ग सुरंगों से होकर गुजरता है. सुरंग 7 इस परियोजना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. भारतीय रेल नेटवर्क का पहला भूमिगत रेलवे स्टेशन, जो तीस्ता बाज़ार स्टेशन होगा, इसी सुरंग में आएगा, जो देश में रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास में एक अग्रणी कदम है.
मुख्य सुरंग 3082 मीटर लंबी है, जिसके साथ एक पहुंच सुरंग भी है. गुफा 650 मीटर तक फैली है, और इसके डिजाइन में एक एकल प्लेटफ़ॉर्म भी शामिल है.
पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग जिले में तीस्ता नदी के पास स्थित यह सुरंग, युवा हिमालय की संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण भूगर्भीय और भूकंपीय परिस्थितियों से होकर गुज़रती है। एनएफआर सूत्रों ने बताया कि परियोजना की अन्य सभी सुरंगों की तरह, भू-भाग की संवेदनशीलता को कम करने के लिए, यहा नवीनतम और सबसे परिष्कृत सुरंग निर्माण तकनीक, यानी न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) का इस्तेमाल किया गया है.
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