कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर 5वें दौर की बैठक के दौरान नाराज किसानों (Farmers protest) ने कुछ वक्त तक खामोशी साधे रखी और हां या ना की तख्तियां लेकर संकेतों में अपनी बात रखी. किसानों की ओर से बातचीत का मुख्य मुद्दा इन तीन कृषि कानूनों को खत्म करने का रहा है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है. किसान नेता हफ्ते में दूसरी बार अपना भोजन भी लेकर आए थे. उन्होंने सरकार की ओर दिए गए लंच के न्योते को स्वीकार नहीं किया.
यह भी पढ़ें- किसान आंदोलन: योगी ने अधिकारियों को किया सतर्क, किसान संगठनों से वार्ता करने का दिया निर्देश
शनिवार को चार घंटे की बातचीत के दौरान किसान नेताओं (Farmers Leaders) ने कुछ वक्त तक मौन रहकर अपना विरोध जताया, उन्होंने बातचीत से इनकार किया और सिर्फ Yes/No की तख्तियां दिखाकर केंद्रीय मंत्रियों से अपनी बात कहते रहे. किसानों के बीच अंसतोष बढ़ता जा रहा है, क्योंकि वे लगातार कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं. जबकि केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि वे उच्च स्तर पर चर्चा के बाद वे नया प्रस्ताव किसानों के समक्ष रखेंगे. किसान बुधवार को छठवें दौर की वार्ता के लिए राजी हो गए हैं. विज्ञान भवन में बातचीत के दौरान किसानों के 40 प्रतिनिधि मौजूद रहे.
किसान नेताओं ने मंगलवार को कहा था कि वे सरकार पर दबाव डालने के लिए दिल्ली की सड़कों के साथ देश भर के राजमार्गों को जाम कर देंगे. किसान एक हफ्ते से ज्यादा वक्त से दिल्ली के बॉर्डर (Delhi-Haryana Border) पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सरकार कानूनों को बनाए रखने को लेकर दृढ़ है. लेकिन वह उन अन्य संभावनाओं पर विचार कर रही है, ताकि किसानों को मनाया जा सके. इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लिखित आश्वासन शामिल है. इस पर किसानों की सबसे बड़ी चिंता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं