
हवा में विमान के तीनों इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) में भी खराबी आ गई थी. (प्रतिकात्मक चित्र)
नई दिल्ली:
''हम बुरी तरह फंस गए हैं. आप जानते हैं... हमारे पास ईंधन भी नहीं बचा है''. यह संक्षिप्त मैसेज एयर इंडिया के विमान बोइंग 777-300 के कैप्टन रुस्तम पालिया ने न्यूयॉर्क में एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को भेजा था. एयर इंडिया की फ्लैगशिप फ्लाइट AI-101 में 11 सितंबर को कुल 370 यात्री सवार थे. विमान ने न्यूयॉर्क के जॉन एफ. कैनेडी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरने का प्रयास किया, लेकिन खराब मौसम की वजह से उतर नहीं सका. विमान नई दिल्ली से उड़ा था और बीते 15 घंटों से लगातार उड़ान भर रहा था. इस विमान का लैंडिंग के दौरान दूसरे विमान से टकराने से बचाने वाला सिस्टम फेल हो गया था. साथ ही ऑटो लैंड, विंडशीयर सिस्टम, ऑटो स्पीड ब्रेक और ऑक्सिलरी पावर यूनिट ने भी काम करना बंद कर दिया. मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं. विमान के तीनों इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) में भी खराबी आ गई. आईएलएस वह सिस्टम है जिसकी मदद से पायलट चाहे रात हो या दिन, खराब मौसम में भी विमान को रनवे पर सही तरीके से लैंड करा सकता है.
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'एयर इंडिया के पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को कहा, इस आईएलएस से कुछ भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. जब भी हम लैंडिंग का प्रयास करते हैं, यह काम करना बंद कर देता है'. उधर से एटीसी ने पूछा, 'क्या आपके विमान के दोनों तरफ के इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) ने काम करना बंद कर दिया है? पायलट ने कहा, हां...' एटीसी ने फिर पूछा, 'और आपके विमान के दोनों तरफ के रेडियो अल्टीमीटर्स भी काम नहीं कर रहे हैं? पायलट ने हां में जवाब दिया और कहा, अब हमारे पास सिर्फ एक रेडियो अल्टीमीटर बचा है'. यह वाकया किसी भी पायलट के लिए लैंडिंग के दौरान सबसे डरावने अनुभवों में से एक था. साफ-साफ कहें तो दुनिया के सबसे जटिल विमानों में से एक, सात साल पुराने बोइंग 777-300 को अब पायलटों को बगैर किसी सिस्टम की मदद के मैनुअली लैंड कराना था. एक तरफ विमान में बहुत कम ईंधन बचा था, तो दूसरी तरफ न्यूयॉर्क के उपर घने बादल छाए हुए थे. ऐसी परिस्थिति में पायलट को रनवे की सही दिशा में बढ़ना, जबकि उन्हें इसका सटीक लोकेशन भी नहीं पता था.
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एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) ने एक बार फिर पूछा, ' क्या आप हमें विमान में सवार यात्रियों की संख्या और ईंधन की सटीक जानकारी दे सकते हैं? पायलट ने जवाब दिया, विमान में कुल 370 यात्री सवार हैं और हमारे पास 7200 किलो ईंधन बचा हुआ है'. खराब मौसम और तमाम सिस्टम फेल होने के बाद 38 मिनट तक आसमान में विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बाद पायलट किसी तरह न्यूयॉर्क में एक वैकल्पिक एयरपोर्ट पर विमान को उतारने में सफल रहे. पायलट का कहना है कि एयर इंडिया न तो इस तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण देता है और न ही बोइंग के ऑपरेशन मैनुअल में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कोई जानकारी दी गई है. दूसरी तरफ, एयर इंडिया ने इस घटना पर टिप्पणी से इनकार कर दिया है. मामले की जांच जारी है.
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'एयर इंडिया के पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को कहा, इस आईएलएस से कुछ भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. जब भी हम लैंडिंग का प्रयास करते हैं, यह काम करना बंद कर देता है'. उधर से एटीसी ने पूछा, 'क्या आपके विमान के दोनों तरफ के इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) ने काम करना बंद कर दिया है? पायलट ने कहा, हां...' एटीसी ने फिर पूछा, 'और आपके विमान के दोनों तरफ के रेडियो अल्टीमीटर्स भी काम नहीं कर रहे हैं? पायलट ने हां में जवाब दिया और कहा, अब हमारे पास सिर्फ एक रेडियो अल्टीमीटर बचा है'. यह वाकया किसी भी पायलट के लिए लैंडिंग के दौरान सबसे डरावने अनुभवों में से एक था. साफ-साफ कहें तो दुनिया के सबसे जटिल विमानों में से एक, सात साल पुराने बोइंग 777-300 को अब पायलटों को बगैर किसी सिस्टम की मदद के मैनुअली लैंड कराना था. एक तरफ विमान में बहुत कम ईंधन बचा था, तो दूसरी तरफ न्यूयॉर्क के उपर घने बादल छाए हुए थे. ऐसी परिस्थिति में पायलट को रनवे की सही दिशा में बढ़ना, जबकि उन्हें इसका सटीक लोकेशन भी नहीं पता था.
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एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) ने एक बार फिर पूछा, ' क्या आप हमें विमान में सवार यात्रियों की संख्या और ईंधन की सटीक जानकारी दे सकते हैं? पायलट ने जवाब दिया, विमान में कुल 370 यात्री सवार हैं और हमारे पास 7200 किलो ईंधन बचा हुआ है'. खराब मौसम और तमाम सिस्टम फेल होने के बाद 38 मिनट तक आसमान में विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के बाद पायलट किसी तरह न्यूयॉर्क में एक वैकल्पिक एयरपोर्ट पर विमान को उतारने में सफल रहे. पायलट का कहना है कि एयर इंडिया न तो इस तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण देता है और न ही बोइंग के ऑपरेशन मैनुअल में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कोई जानकारी दी गई है. दूसरी तरफ, एयर इंडिया ने इस घटना पर टिप्पणी से इनकार कर दिया है. मामले की जांच जारी है.
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