सुबह के सात बजे हैं और 16 साल की गीता बरिया स्कूल जाने की तैयारी कर रही है। सफेद रंग की सलवार कमीज पहने, अपने लंबे बालों की चोटी बनाए गीता को स्कूल जाने के लिए नदी में तैरकर छह किलोमीटर का सफर तय करना है।
मध्य गुजरात के इस आदिवासी जिले में सिर्फ एक ही सीनियर स्कूल है। अपने सहपाठियों के साथ गीता नदी के तट पर इंतजार कर रही है। ये सभी छात्र अलग-अलग गांवों के हैं। नदी का पानी काफी ठंडा है, और सफर छह किलोमीटर लंबा। गीता समेत सभी छात्रों के लिए नदी का यह रास्ता शॉटकर्ट है, क्योंकि रोड से स्कूल जाने के लिए उन्हें 20 किलोमीटर की थकाऊ यात्रा करनी होगी।
इन बच्चों के साथ पीतल की एक मटकी भी है, जिसे वहां गोहरी कहा जाता है। छात्र अपनी किताबें इसी बर्तन में डाल देते हैं और यह उन्हें तैरने में भी मदद करता है। रोजाना एक अभिभावक को नदी की दूसरी तरफ बच्चों की देखभाल के लिए रहने की ड्यूटी दी गई है।
दसवीं क्लास में पढ़ने वाले सिद्धार्थ बारिया ने बताया, 'हम अपनी यूनिफॉर्म बर्तन में डाल देते हैं। जब हम नदी के उस पार पहुंच जाते हैं तो यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल के लिए रवाना हो जाते हैं।' वहीं गीता का कहना है कि उनके पास तो नदी के उस पार पहुंचने के बाद कपड़े बदलने के लिए कोई जगह ही नहीं होती है। भीगे कपड़ों में ही रहना पड़ता है। अक्सर हमलोग बीमार पड़ जाते हैं। पिछले हफ्ते ही हमलोग को ठंड लग गई थी। लेकिन परीक्षा आने वाली है। ऐसे में आज फिर ठंडे पानी में तैरकर स्कूली जा रही हूं। गीता उन 30 लड़कियों में से एक है जो हर दिन नदी तैरकर स्कूल जाने के लिए बेबस है।
वहीं गांव वालों का कहना है कि उन्होनें प्रशासनिक अधिकारियों तक ये बात पहुंचाई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी गांव में रहने वाले नरपत सिंह चौहान कहते है कि साल 2009 मे उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तक को अपनी पीड़ा बताई थी, लेकिन किसी ने उनकी फरियाद नहीं सुनी।
इस संबंध में जब जिले के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि नदी पर एक पुलिया बनाने की योजना है। बच्चों को साइकल, बाइक और मिनी बस से आने की सुविधा होगी। पुल का निर्माण कार्य जल्द ही शुरू होने वाला है। प्रदेश सरकार इसके लिए 13 करोड़ रुपए जारी कर सकती है।
इस बीच गीता समेत 30 लड़कियां हर दिन की तरह एक बार फिर बड़ी सावधानी से नदी में उतरती हैं और फिर हंसते-हांफते हुए ठंडी सांस के साथ स्कूल के लिए सफर तय करने में लग जाती हैं।
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