कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (Karnataka ChiefMinister BS Yeddiyurappa) की सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता के ईश्वरप्पा (K Eshwarappa) के बगावती तेवरों के बाद प्रभावशाली लिंगायत नेता येदियुरप्पा समर्थक विधायकों और मंत्रियों की लामबंदी में जुट गए हैं.इससे पहले पूर्व मंत्री रमेश जरकीहोली के सेक्स स्कैंडल (Karnataka sex Scandal) का मामला तो उनका सिरदर्द बढ़ा ही रहा है और पार्टी विधायक बासनगौड़ा पाटिल यतनाल ने भी कुछ दिनों पहले येदियुरप्पा के नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठाए थे और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था.
अब ईश्वरप्पा ने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. यह सब घटनाक्रम ऐसे वक्त हो रहा है, जब राज्य में कुछ सीटों पर उपचुनाव हो रहा है.ईश्वरप्पा ने येदियुरप्पा पर मंत्रालय के कामकाज में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से इंसाफ की गुहार लगाई थी. उन्होंने शिकायत की प्रति बीजेपी आलाकमान को दिल्ली भेजी है. बौखलाये येदियुरप्पा ने अपने सरकारी आवास पर मंत्रियों और विधयकों को अपने समर्थन में मीडिया के सामने हाज़िर किया, हालांकि वो खुद चुप रहे.
ईश्वरप्पा कर्नाटक के पंचायती राज मंत्री है. पहले भी वो येदियुरप्पा के खिलाफ बगावती रुख दिखा चुके हैं. लेकिन इस बार सीधे वो राज्यपाल वजू भाई वाला से मिले और लिखित तोर पर शिकायत की है कि मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा मंत्रालय के कामकाज में दखल दे रहे हैं. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री अपनी मर्ज़ी से फंड का बंटवारा करना चाहते हैं.
ईश्वरप्पा ने कहा, मेरी जो समस्या थी, वो मैने लिखकर राज्यपाल को दी है. इस बारे में और मैं कुछ भी चर्चा नही करना चाहता. इससे पहले बासवन गौड़ पाटिल यतनाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया था. हालांकि इस सब घटनाक्रम से हतप्रभ येदियुरप्पा ने सरकारी निवास पर मंत्रियों और विधायकों को मीडिया के सामने अपने समर्थन में पेश किया. राजस्व मंत्री आर अशोक, स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर और गृह मंत्री बासवराज बोम्मई जैसे वरिष्ठ मंत्री ईश्वरप्पा के खिलाफ मैदान में दिखे.
कृषि मंत्री बी सी पाटिल ने कहा कि उनके मंत्रालय में येदियुरप्पा की तरफ से कोई दखलअंदाज़ी नहीं की गई है. राजस्व मंत्री आर अशोक ने भी कहा कि येदियुरप्पा हमारे नेता हैं. गृह मंत्री बोम्मई ने कहा कि पंचायती राज मंत्री को अगर कोई शिकायत थी तो कैबिनेट के साथ बैठकर विचार-विमर्श करना चाहिए. दूसरे फोरम भी हैं, उनको गवर्नर के पास नहीं जाना चाहिए क्योंकि गवर्नर प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते.
उसी जगह मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी मौजूद थे लेकिन उन्होंने चुप रहना ही बेहतर समझा. अपनी ढलती उम्र की वजह से उनके पहले वाले तेवर अब नही दिखते. हालांकि इन बगावती तेवरों के बावजूद किसी के भी खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिसे पार्टी आलाकमान की शह माना जा रहा है. यानी कि येदियुरप्पा हटाने की मुहिम को अमलीजामा पहनाने की कवायद शरू हो गई है.
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