लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आईपीसी धारा 188 के तहत दर्ज एफआईआर रद्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी डॉ विक्रम सिंह की याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कार्रवाई नहीं की जाती है तो फिर लॉकडाउन का पालन कैसे कराया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि हम हैरान हैं कि ये कैसी- कैसी याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं. इसके पीछे कोई एजेंडा हो सकता है.
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी डॉ विक्रम सिंह ने द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज करने को चुनौती दी थी. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गयी कि धारा 188 के तहत दर्ज सारी एफआईआर को रद्द करने का आदेश जारी किया जाए.
याचिका के मुताबिक कानूनी प्रावधान और सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के कई फैसलों के अनुसार आईपीसी की धारा 188 के तहत कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती. कानूनी प्रावधानों के अनुसार पब्लिक सर्वेंट या सरकारी अधिकारी को अदालत के सम्मुख लॉकडाउन के उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करानी होगी. लेकिन किसी भी स्थिति में पुलिस के द्वारा धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती.
याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कोरोना संकट एक मानवीय त्रासदी है और लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एफआईआर होना उनके साथ और ज्यादा अन्याय है.
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