महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की संयुक्त सरकार के गठन के ख़िलाफ़ दायर याचिका खारिज हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने महा विकास अघाडी को राहत देते हुए गठबंधन को अपवित्र बताने वाली याचिका खारिज कर दी. सुनवाई के दौरान जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि कोर्ट इसकी न्यायिक समीक्षा क्यों करे? जस्टिस अशोक भूषण ने भी कहा कि प्री पोल एलायंस और पोस्ट पोल अलायंस में कोर्ट क्यों दखल दे. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को गठबंधन से नहीं रोक सकते. अगर याचिकाकर्ता की दलील मान ली जाए तो फिर देश में कोई लोकतंत्र नहीं रहेगा.
जस्टिस रमना ने कहा कि हमने कर्नाटक मामले में फैसले में कहा है कि संवैधानिक नैतिकता राजनीतिक नैतिकता से अलग है. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को गठबंधन से नहीं रोक सकते. ये फैसला जनता को करना है ना कि कोर्ट को. कोर्ट से उसकी अपेक्षा मत करिए जो उसका क्षेत्राधिकार नहीं है. बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की संयुक्त सरकार के गठन के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. यह सुनवाई जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने की.
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आपको बता दें कि ये वही बेंच है जिसने महाराष्ट्र में फ़्लोर टेस्ट को लेकर फैसला सुनाया था. यह याचिका अखिल भारत हिन्दू महासभा के नेता प्रमोद पंडित जोशी ने दायर की है जिसमें कहा गया है कि चुनाव बाद के पार्टी गठबंधन के आधार पर बन रही सरकार को असंवैधानिक करार दिया जाए. शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन सरकार दूसरे दल के साथ बना रही है जो कि वोटरों के साथ धोखा है. शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन सरकार दूसरे दल के साथ बना रही है जो कि वोटरों के साथ धोखा है.
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