यह ख़बर 13 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

तुगलकी फरमानों का लोकतंत्र में स्थान नहीं : चिदम्बरम

खास बातें

  • केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने शुक्रवार को कहा कि खाप पंचायतों के तालिबानी अंदाज में सुनाए गए फरमानों का लोकतांत्रिक समाज में कोई स्थान नहीं है।
चण्डीगढ़:

केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने शुक्रवार को कहा कि खाप पंचायतों के तालिबानी अंदाज में सुनाए गए फरमानों का लोकतांत्रिक समाज में कोई स्थान नहीं है।

वह उत्तर प्रदेश के बागपत क्षेत्र में खाप पंचायत द्वारा दिए गए तुगलकी फरमान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे, जिसमें महिलाओं के मोबाइल इस्तेमाल करने, बाजार जाने या अकेले घूमने तथा प्रेम विवाह पर प्रतिबंध लगाया गया है।

चिदम्बरम ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "मैं राज्य सरकार से उम्मीद करता हूं कि वह कार्रवाई करे। ऐसे फरमानों का कोई कानूनी वजूद नहीं होता। राज्य प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह के फरमानों का उल्लंघन करने वालों को किसी तरह का नुकसान न हो।" उन्होंने कहा, "मेरे अनुसार, इस तरह के फरमानों या फतवा का लोकतांत्रिक समाज में कोई स्थान नहीं है। मैं नहीं समझता कि कोई यह कह सकता है कि कोई कैसे कपड़े पहने या कैसे रहे। यह पूरी तरह अलोकतांत्रिक है।"

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बागपत में असारा की पंचायत ने गुरुवार को यह फरमाना सुनाया था। पंचायत के सदस्यों ने फरमान सुनाने वाले अपने दो सदस्यों को गिरफ्तार करने वाले दो पुलिसकर्मियों की शुक्रवार को पिटाई भी कर दी।