प्रतीकात्मक फोटो
मुंबई:
पुलिस में शिकायत करने के लिए महाराष्ट्र में अब आधार कार्ड मांगा जाएगा। इससे पहले पुलिस सिर्फ आरोपी या अपराधियों के बारे में जानकारी जुटाती थी। अब वह शिकायतकर्ता के बारे में भी पूरी जानकारी जुटाने के लिए आधार कार्ड मांगेगी।
गृह राज्यमंत्री का मत, कुछ मौकों पर आधार जरूरी
यानी अब महाराष्ट्र में कई सरकारी योजनाओं के अलावा पुलिस में शिकायत के लिए भी पहले आधार की कतार में इंतजार करना होगा। देश की सर्वोच्च अदालत भले ही आधार को हर बात का आधार मानने से इनकार कर दे लेकिन महाराष्ट्र में पुलिस को लगता है सटीक जानकारी और शिकायतकर्ता के बारे में जानकारी जुटाने के लिए यह कदम जरूरी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और पुलिस के मुखिया ने इस बात की पुष्टि की है। गृह राज्यमंत्री को भी लगता है कि कुछ मौकों पर यह कदम सही है। गृह राज्यमंत्री डॉ रंजीत पाटिल ने कहा " बाद में प्रमाणिकता दिखाना है या मूल निवासी साबित करना है तो आधार की जरूरत पड़ सकती है।"
एक्सीडेंट होने पर क्या आधार कार्ड लेने घर जाएगा पीड़ित!
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी यूआईडीएआई का दावा है कि देश भर में 100 करोड़ से ज्यादा लोग आधार कार्ड बनवा चुके हैं। महाराष्ट्र में भी यह तादाद 99 फीसदी बताई जा रही है। हालांकि लोग इस फैसले को इंसाफ की राह में रोड़ा बता रहे हैं। खुद मुंबई के पूर्व पुलिस चीफ और बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह भी इस फैसले को सही नहीं मानते। उनका कहना है " कई बार आदमी आधार कार्ड लेकर घूमता नहीं है। जरूरी नहीं है कि वह हर जगह आधार कार्ड लेकर चले। मान लीजिए किसी का एक्सीडेंट हो जाए या रास्ते में जाते हुए कोई किसी को लूट ले तो क्या वह पहले आधार कार्ड लेने घर आएगा? मुझे नहीं लगता कि इसकी कोई जरूरत है।"
सरकारी योजनाओं की बंदरबांट रोकने के लिए यूपीए सरकार ने 2009 में यूआईडीएआई का आधार रखा था। सरकार इसे अनिवार्य बनाना चाहती थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि आधार स्वैच्छिक हो सकता है अनिवार्य नहीं।
गृह राज्यमंत्री का मत, कुछ मौकों पर आधार जरूरी
यानी अब महाराष्ट्र में कई सरकारी योजनाओं के अलावा पुलिस में शिकायत के लिए भी पहले आधार की कतार में इंतजार करना होगा। देश की सर्वोच्च अदालत भले ही आधार को हर बात का आधार मानने से इनकार कर दे लेकिन महाराष्ट्र में पुलिस को लगता है सटीक जानकारी और शिकायतकर्ता के बारे में जानकारी जुटाने के लिए यह कदम जरूरी है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और पुलिस के मुखिया ने इस बात की पुष्टि की है। गृह राज्यमंत्री को भी लगता है कि कुछ मौकों पर यह कदम सही है। गृह राज्यमंत्री डॉ रंजीत पाटिल ने कहा " बाद में प्रमाणिकता दिखाना है या मूल निवासी साबित करना है तो आधार की जरूरत पड़ सकती है।"
एक्सीडेंट होने पर क्या आधार कार्ड लेने घर जाएगा पीड़ित!
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण यानी यूआईडीएआई का दावा है कि देश भर में 100 करोड़ से ज्यादा लोग आधार कार्ड बनवा चुके हैं। महाराष्ट्र में भी यह तादाद 99 फीसदी बताई जा रही है। हालांकि लोग इस फैसले को इंसाफ की राह में रोड़ा बता रहे हैं। खुद मुंबई के पूर्व पुलिस चीफ और बीजेपी सांसद सत्यपाल सिंह भी इस फैसले को सही नहीं मानते। उनका कहना है " कई बार आदमी आधार कार्ड लेकर घूमता नहीं है। जरूरी नहीं है कि वह हर जगह आधार कार्ड लेकर चले। मान लीजिए किसी का एक्सीडेंट हो जाए या रास्ते में जाते हुए कोई किसी को लूट ले तो क्या वह पहले आधार कार्ड लेने घर आएगा? मुझे नहीं लगता कि इसकी कोई जरूरत है।"
सरकारी योजनाओं की बंदरबांट रोकने के लिए यूपीए सरकार ने 2009 में यूआईडीएआई का आधार रखा था। सरकार इसे अनिवार्य बनाना चाहती थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया कि आधार स्वैच्छिक हो सकता है अनिवार्य नहीं।
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