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This Article is From Jun 13, 2021

महाराष्ट्र में कोविड-19 से मौत का आंकड़ा 1.08 लाख के पार, 12 दिनों के डेटा सुधार से उछला नंबर

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि 1 जून के बाद से बड़े पैमाने पर हुए डेटा सुधार अभ्यास में पुणे, ठाणे, नागपुर, नासिक, औरंगाबाद, अहमदनगर और यवतमाल से देरी से मौतों की सूचना मिली है. इनमें से, पहले तीन ने अकेले 1,368, 1,167 और 503 आंकड़ा अपडेट की सूचना दी है. 

महाराष्ट्र में कोविड-19 से मौत का आंकड़ा 1.08 लाख के पार, 12 दिनों के डेटा सुधार से उछला नंबर
महाराष्ट्र सरकार पिछले कुछ समय से लगभग हर स्वास्थ्य बुलेटिन में पिछले सप्ताह के आंकड़ों को जोड़ रही है.
मुंबई:

पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र (Maharashtra) कोविड-19 (Coronavirus) से हुई हुई मौत के आंकड़े को सुधार रहा है. कुछ चूक को सुधारने की पिछले 12 दिनों के इस अभ्यास के परिणामस्वरूप राज्य में इस महामारी से मरने वालों की संख्या  8,800 से बढ़कर 1.08 लाख हो गई है.

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि 1 जून के बाद से बड़े पैमाने पर हुए डेटा सुधार अभ्यास में पुणे, ठाणे, नागपुर, नासिक, औरंगाबाद, अहमदनगर और यवतमाल से देरी से मौतों की सूचना मिली है. इनमें से, पहले तीन ने अकेले 1,368, 1,167 और 503 आंकड़ा अपडेट की सूचना दी है. 

बयान के अनुसार, कुल मिलाकर एकल-दिवसीय उच्चतम मिलान डेटा शुक्रवार को 2,213 पर था. महाराष्ट्र सरकार पिछले कुछ समय से लगभग हर  स्वास्थ्य बुलेटिन में पिछले सप्ताह के आंकड़ों को जोड़ रही है. हालांकि, विपक्ष की आलोचना के बाद ही राज्य ने लापता डेटा को समाहित करने का फैसला किया.

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अब, हर दिन आधी रात को, राज्य के एनालिटिक्स पोर्टल से डेथ लिस्ट डाउनलोड की जाती है- और जिला स्तर की डुप्लिकेट प्रविष्टियाँ हटा दी जाती हैं. फिर सूची को सत्यापन के लिए स्थानीय अधिकारियों को भेजा जाता है. इसके बाद शाम पांच बजे तक अंतिम सूची भेजी जाती है. सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस तरह का अभ्यास हर पखवाड़े किया जाता है.

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जिला स्तर के अस्पताल रीयल-टाइम जानकारी अपडेट नहीं करते हैं. अप्रैल और मई में मामलों की भारी संख्या के बीच ऑक्सीजन और बिस्तर की कमी और मैन पॉवर की कमी की वजह से डेटा प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया गया. अधिकारियों ने कहा, "हालांकि मुंबई जैसे शहर में एक प्रणाली हो सकती है, लेकिन कई जिलों, विशेष रूप से छोटे जिलों में ऐसा करने के लिए मैन पॉवर और विशेषज्ञता की कमी ही कारण है."

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