प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के लिए निर्धारित खाली पड़ी जगहें उम्मीदवारों की कमी के चलते नहीं भर पा रही हैं. इसके मद्देनजर सरकार आय सीमा बढ़ाकर आठ लाख रुपये करके 'क्रीमी लेयर' के मानदंड में ढील देने पर विचार कर रही है.
सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित होती हैं. इसके लिए शर्त है कि परिवार की सालाना आय छह लाख रुपये से कम होनी चाहिए. इससे अधिक आय वाले परिवारों को 'क्रीमी लेयर' में रखा जाता है, और वे आरक्षण के पात्र नहीं होते. आयसीमा बढ़ाने से सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों की सीटों के लिए योग्य उम्मीदवारों की संख्या बढ़ जाएगी.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सामाजिक न्याय मंत्रालय ओबीसी की वार्षिक आयसीमा बढ़ाकर आठ लाख रुपये करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में जल्द कैबिनेट नोट जारी किया जा सकता है.
इस बारे में जब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के सदस्य अशोक सैनी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि समिति ने आय सीमा दोगुने से अधिक बढ़ाकर 15 लाख रुपये सालाना करने की सिफारिश की थी.
सैनी के अनुसार, 'आरक्षण दिए जाने के दो दशक बाद भी देखा गया है कि निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण में से 12-15 प्रतिशत जगहें ही भर पाती हैं. हमारे विश्लेषण के अनुसार इसके पीछे मुख्य वजह वार्षिक आय की उच्चतम सीमा का निर्धारण है.'
मंडल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 1980 में भारत में 52 प्रतिशत आबादी ओबीसी की थी. आयोग की यह रिपोर्ट 1932 की जनगणना पर आधारित थी. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन ने 2006 में ओबीसी की जनसंख्या 41 प्रतिशत बताई थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 27 प्रतिशत सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित होती हैं. इसके लिए शर्त है कि परिवार की सालाना आय छह लाख रुपये से कम होनी चाहिए. इससे अधिक आय वाले परिवारों को 'क्रीमी लेयर' में रखा जाता है, और वे आरक्षण के पात्र नहीं होते. आयसीमा बढ़ाने से सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों की सीटों के लिए योग्य उम्मीदवारों की संख्या बढ़ जाएगी.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सामाजिक न्याय मंत्रालय ओबीसी की वार्षिक आयसीमा बढ़ाकर आठ लाख रुपये करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में जल्द कैबिनेट नोट जारी किया जा सकता है.
इस बारे में जब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के सदस्य अशोक सैनी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि समिति ने आय सीमा दोगुने से अधिक बढ़ाकर 15 लाख रुपये सालाना करने की सिफारिश की थी.
सैनी के अनुसार, 'आरक्षण दिए जाने के दो दशक बाद भी देखा गया है कि निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण में से 12-15 प्रतिशत जगहें ही भर पाती हैं. हमारे विश्लेषण के अनुसार इसके पीछे मुख्य वजह वार्षिक आय की उच्चतम सीमा का निर्धारण है.'
मंडल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 1980 में भारत में 52 प्रतिशत आबादी ओबीसी की थी. आयोग की यह रिपोर्ट 1932 की जनगणना पर आधारित थी. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन ने 2006 में ओबीसी की जनसंख्या 41 प्रतिशत बताई थी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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