धर्मांतरण के मुद्दे पर लोकसभा और राज्यसभा में सोमवार को भी हंगामा जारी रहा। विपक्षी दलों के नेताओं ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर आपत्ति जताते हुए इस मसले पर चर्चा की बात कही। लोकसभा में जहां तमाम विपक्ष के नेताओं ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग की, वहीं, सरकार की ओर से वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मुद्दे पर चर्चा हो चुकी है।
सांसदों के हंगामे की वजह से निचली सदन को चार बार स्थगित करना पड़ा। वहीं भोजनावकाश के बाद आसन के समक्ष नारेबाजी कर रहे आरजेडी सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अखबार फाड़कर टेबल के पास हवा में उछाल दिया। जिसपर बाद में उपाध्यक्ष ने सख्त आपत्ति जताई और रंजन को माफी मांगनी पड़ी।
हंगामे के दौरान ही माकपा सदस्य ए संपत की तबीयत खराब हो गई। एक बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही शुरू होने पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दल, राजद, आप के सदस्य धर्मान्तरण का विषय उठाते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा, 'हर राज्य में 'घर वापसी' के नाम पर धर्मांतरण किया जा रहा है। लोगों को लालच दिया जा रहा है। संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद का धर्म मानने का अधिकार है। ऐसे कार्यों से देश में अशांति फैल सकती है। मोदी के नाम पर यह सरकार बनी है। इसलिए प्रधानमंत्री सदन में बयान दें।'
इस पर संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि देश के लोग देख रहे हैं कि क्या हो रहा है। जो लोग सदन में नहीं हैं, उनके बारे में नारे लगाए जा रहे हैं। इसे कार्यवाही से हटाया जाना चाहिए। कल सुबह आठ बजे से विधानसभा चुनावों (झारखंड और जम्मू कश्मीर) की मतगणना शुरू होगी तब आपको जवाब मिल जाएगा।
वहीं राज्य सभा में भी आज पूरे दिन धर्मांतरण का मुद्दा छाया रहा। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि विपक्ष चर्चा से भाग नही रहा है। विपक्ष चर्चा चाहता है, लेकिन सरकार और प्रधानमंत्री धर्मांतरण के मुद्दे पर चुप क्यों हैं? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर बयान देना चाहिए। ब्रायन ने पीएम मोदी के कथन का हवाला देते हुए कहा, 'आपको यहां आने के लिए 56 इंच के सीने की जरूरत नहीं, आपको बस चार इंच के दिल की जरूरत है।'
हालांकि इस मुद्दे पर बहस को लेकर सदन के नेता एवं वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सरकार की ओर से कहा कि विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो सकती, क्योंकि इन मुद्दों पर सदन के इसी सत्र में चर्चा हो चुकी है।
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